उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की दोबारा सरकार आने के साथ ही बुलडोजर का असर दिखाना शुरू हो गया है। प्रदेश में अवैध निर्माण हो या फरार अपराधी की संपत्ति सब पर बुलडोजर चलाया जा रहा है। यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान योगी आदित्यनाथ ने खुद की छवि बुलडोजर बाबा के तौर पर स्थापित कर दी। इसका असर अब प्रदेश भर में देखने को मिल रहा है। पिछले कुछ दिनों में लखनऊ, बाराबंकी, कानपुर, नोएडा, जालौन, बुलंदशहर जैसे तमाम जिलों में रोज बुलडोजर से अवैध निर्माण गिराने की खबर सामने आ रही है। इसकी सराहना के साथ काफी विरोध भी किया जा रहा है। लोग अब सवाल उठा रहे हैं कि आखिर अवैध निर्माण किसकी शह पर किए गए। इन्हें कैसे मंजूरी मिल गई। वहीं इनको मंजूरी देने वाले अधिकारियों, इंजीनियरों पर कार्रवाई कब होगी? अवैध निर्माण के लिए जिम्मेदार सरकारी तंत्र के लोगों का नाम क्यों बाहर नहीं आता?
यूपी में लगातार अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलने की खबर आ रही है। हाल में बरेली विकास प्राधिकरण ने समाजवादी पार्टी के विधायक शहजिल इस्लाम के पेट्रोल पंप पर बुल्डोजर चला दिया। आरोप लगाया गया कि यह अवैध जमीन पर बनाया गया था। स्थानीय स्तर पर लोगों में इसके प्रति गुस्सा भी दिखा। लेकिन खुलकर किसी ने कुछ नहीं कहा। दूसरी तरफ सीएम योगी आदित्यनाथ ने ये भी कहा है कि किसी गरीब की झोपड़ी और दुकान पर बुलडोजर नहीं चलेगा। यह सिर्फ माफिया और अवैध संपत्तियों पर चलाया जाएगा।
वहीं, इलाहाबाद होईकोर्ट के वरिष्ठ वकील सौरभ तिवारी ने कहा कि बुलडोजर जहां मन हुआ वहां चला देना कानून के अंतर्गत नहीं आता है। बुलडोजर चलाने को लेकर भी एक लंबी प्रक्रिया है। लीगल नोटिस जाती है। घर को डायनामाइट से उड़ा देना सही नहीं है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने आदेश किया था काशी में संकटमोचन मंदिर के पास सीमांकन कराया जाए। अवैध निर्माण को लेकर भी कई बार टिप्पणी की, लेकिन उसका कुछ नहीं किया गया। पूरे प्रदेश में यही हाल है। हजारों-लाखों मकान बिना मैप के बने है। कोर्ट में अगर पीड़ित चैलेंज कर दे तो सरकार के लिए भी दिक्कत हो सकती है।