भारत के सीनियर क्रिकेटर रोहित शर्मा ने यह माना है कि जब 2019 में उन्हें टेस्ट क्रिकेट में सलामी बल्लेबाज के तौर पर खेलने को कहा गया था तो यह उनके लिए आखिरी मौका था और उनका कहना है कि वह इस मौके का फायदा उठाकर खुश हैं। रोहित ने शनिवार को इंग्लैंड के खिलाफ चौथे टेस्ट के तीसरे दिन 127 रन की पारी खेलकर विदेशी सरजमीं पर अपना पहला टेस्ट शतक जमाया। उन्होंने कहा कि बतौर क्रिकेटर उन्होंने जो फैसले लिए हैं, उसमें पारी का आगाज करने की भूमिका स्वीकार करना सबसे बड़ा था। रोहित ने तीसरे दिन का खेल समाप्त होने के बाद कहा कि, ‘आप ऐसा कह सकते हैं।’
अपने आठवें टेस्ट शतक और सलामी बल्लेबाज के तौर पर पांचवें सैकड़े के बाद उन्होंने कहा कि, ‘मैं जानता था कि बैटिंग ऑर्डर में एक और स्थान की कोशिश में यह मेरा आखिरी मौका था।’ रोहित ने कहा कि जब उन्हें बल्लेबाजी का आगाज करने की पेशकश हुई तो वे इस चुनौती के लिए मानसिक रूप से तैयार थे और देखना चाहते थे कि वह बैटिंग के टॉप ऑर्डर में कैसा कर सकते थे। वे जानते थे कि ज्यादा मौके नहीं मिलेंगे, क्योंकि मिडिल ऑर्डर बैट्समैन के तौर पर वह इतना अच्छा नहीं कर सके थे।
रोहित ने कहा कि, ‘मैंने पहले मिडिल ऑर्डर में बल्लेबाजी की थी और चीजें उस तरह नहीं हुई थीं, जैसा मैं चाहता था। मैं जानता था कि यह मेरे लिए यह आखिरी मौका था और मैं क्या करने की कोशिश कर रहा था, मैनेजमेंट भी ऐसा ही चाहता था। खेल चुनौतियों का सामना करने के बारे में ही है।’ उन्होंने कहा कि, ‘जब आप एक खेल खेलते हो तो आप हमेशा इन मौकों और जोखिमों को देखते हो इसलिए मैं इसके लिए तैयार था और यह मेरे लिए हैरानी भरा नहीं था।’ रोहित ने कहा कि, ‘अगर मैं सफल नहीं होता तो यह मेरा आखिरी मौका होता और तब कुछ भी हो सकता था।’