दुनियाभर में एक दिसंबर एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। एड्स के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए दुनिया भर में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। 1988 में इस की दिन की शुरुआत की गई थी। इस दिन विभिन्न कार्यक्रमों के माध्‍यम से एचआईवी जैसी खतरनाक बीमारी से बचाव के तरीके बताये जाते हैं। एड्स के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर वर्ष एक थीम दी जाती है इस वर्ष का थीम है, “वैश्विक एकजुटता, साझा जिम्मेदारी”।

मेडिकल भाषा में ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस यानी एचआईवी के नाम से जाना जाता है। जबकि लोग इसे आम बोलचाल में एड्स के नाम से जानते हैं। इस रोग में जानलेवा इंफेक्शन व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) पर हमला करता है। जिसकी वजह से शरीर सामान्य बीमारियों से लड़ने में भी अक्षम होने लगता है।

एचआईवी से जुड़े तथ्य और आंकड़े

2019 के आंकड़ों के मुताबिक वैश्विक स्तर पर 38 मिलियन लोग एचआईवी के साथ जी रहे थे।

25.4 मिलियन लोग एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी तक पहुंचे।

1.7 मिलियन लोग 2019 में एचआईवी से संक्रमित हो गए।

पिछले वर्ष एड्स से संबंधित बीमारियों से 690000 लोगों की मृत्यु हुई।

75.7 मिलियन लोग बीमारी की शुरुआत के बाद से एचआईवी से संक्रमित हुए।

32.7 मिलियन लोग महामारी की शुरुआत के बाद से एड्स से संबंधित बीमारियों से मर चुके हैं।

36.2 मिलियन वयस्क एचआईवी से संक्रमित पाये गए।

1.8 मिलियन (0-14 वर्ष) बच्चों में पाया गया संक्रमण।

एचआईवी के साथ रहने वाले सभी लोगों के 81% को उनकी एचआईवी स्थिति की जानकारी थी।

लगभग 7.1 मिलियन लोगों को यह नहीं पता था कि वे एचआईवी के साथ जी रहे थे।

1998 में पीक पर पहुंचने के बाद नए एचआईवी संक्रमण 40% तक कम हो गए हैं।

1998 में 2.8 मिलियन लोगों की तुलना में 2019 में, लगभग 1.7 मिलियन लोग एचआईवी से संक्रमित थे।

2010 के बाद से, नए एचआईवी संक्रमण में 23% की गिरावट आई है, 2.1 मिलियन से 2019 में 1.7 मिलियन।

2010 के बाद से बच्चों में भी नए एचआईवी संक्रमण में 52% की गिरावट आई है, 2010 में 310 000 से 2019 में 150000 केस आए।

2010 से एड्स से संबंधित मृत्यु दर में 39% की गिरावट आई है।

2004 में पीक से एड्स से संबंधित मौतों में 60% की कमी आई है।

महिलाओं में एचआईवी

हर हफ्ते, 15–24 वर्ष की आयु की लगभग 5500 युवा महिलाएं एचआईवी से संक्रमित हो जाती हैं।

उप-सहारा अफ्रीका में, 15-19 वर्ष की आयु की किशोरों में छह में से पांच लड़कियों में नए संक्रमणों पाया गया। 15–24 वर्ष की आयु की युवा महिलाएं पुरुषों की तुलना में एचआईवी में दोगुनी हैं।

2019 में सभी नए एचआईवी संक्रमणों में महिलाओं और लड़कियों का हिस्सा लगभग 48% है। उप-सहारा अफ्रीका में, महिलाओं और लड़कियों में सभी नए एचआईवी संक्रमणों का 59% हिस्सा है।

भारत सरकार द्वारा जारी एचआईवी रिपोर्ट (2019) के अनुसार

2019 के रिपोर्ट के अनुसार लगभग 23.49 लाख लोग एचआईवी के साथ जी रहे हैं। हालांकि 2010 और 2019 के बीच अनुमानित वार्षिक नए एचआईवी संक्रमणों में गिरावट के साथ देश में एचआईवी कुल मिलाकर घटती प्रवृत्ति है।

भारत में एचआईवी संक्रमण के लिए पहचाने जाने वाले मुख्य-जोखिम वाले कारकों में असुरक्षित हेट्रोसेक्शुअल बिहेवियर, असुरक्षित समलैंगिक व्यवहार और असुरक्षित इंजेक्शन ड्रग उपयोग शामिल हैं।

भारत में एचआईवी / एड्स रोगियों के उपचार के लिए कोई समर्पित अस्पताल नहीं हैं। हालांकि, सरकार के नेशनल एड्स कंट्रोल प्रोग्राम (NACP) के तहत, जुलाई 2020 तक, 570 एंटीरेट्रोवायरल ट्रीटमेंट (ART) सेंटर और 1264 लिंक ART सेंटर हैं।

सरकार इसकी रोकथाम के लिये राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम चला रही है। इसके तहत रोकथाम, परीक्षण और उपचार की त्रिस्तरीय रणनीति अपनाई जाती है। 2030 तक एड्स के खात्मे का सतत विकास लक्ष्य हासिल करने के लिये सरकार ने 2017 से 2024 तक सात वर्षीय राष्ट्रीय कार्य नीति योजना भी तैयार की है।

महंगी होंगी दवाइयां

यूएनएड्स एक विश्लेषण के अनुसार कोविड-19 की प्रसार को रोकने के लिए लगाए लॉकडाउन और एचआईवी से संबंधित दवाइयों की सप्लाई प्रभावित होने से जेनेरिक एंटीरेट्रोवायरल दवाओं की आपूर्ति निम्न और मध्यम आय वाले देशों प्रभावित हुई है। इसके अलावा कोविड19 से बॉर्डर क्लोजर की वजह से दवाओं के उत्पादन और उनके वितरण दोनों पर असर पड़ा है, जिससे संभवतः उनकी लागत और सप्लाई में में वृद्धि की और इशारा कर रहे हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि भारत से निर्यात एंटीरेट्रोवायरल दवाओं की लागत सामान्य कीमतों से 10% से 25% अधिक हो सकती है।

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