वैश्विक महामारी कोरोना के कारण लोगों के जीवन पर असर पड़ा है। साथ ही रिश्ते कितने खोखले हो गये हैं, वह भी इसी दौर में देखने को मिल रहा है। ऐसा ही कुछ देखने को मिला चंदौली में, जहां घर के दरवाजे पर मां का शव रखा रह गया लेकिन कलयुगी बेटे ने मुंह देखना तो दूर शव छोड़ भाग खड़े हुए।

जानकारी के अनुसार, चकरघट्टा थाना क्षेत्र के बजरडीहा गांव के वनवासी इलाके में काफी दिनों से बीमार चल रही सपेशरी(90) का रविवार की भोर में निधन हो गया। तीन बेटों और नाती-पोतों से भरे परिवार के पास इतने पैसे नहीं थे कि उसका अंतिम संस्कार किया जा सके। कोरोना कर्फ्यू में मजदूरी बंद होने से मुश्किल से दो समय के भोजन की व्यवस्था ही हो पा रही है। अंतिम संस्कार के पैसे न होने से बुजुर्ग महिला के दो बेटे लाल बरत और रमाकांत अपने पत्नी बच्चों को लेकर जंगल में चले गए।

पड़ोस के लोगों को पता चला कि बुजुर्ग महिला के बेटे शव छोड़कर भाग गए हैं तो सभी लोग जानकारों को फोन करने लगे। इसी दौरान एक विवाद का समझौता कराकर चकरघट्टा थाने से लौट रहे गंगापुर गांव के प्रधान मौलाना यादव ने जब यह देखा तो बाजार से कफन अन्य सामग्री मंगाई। लोगों से बुजुर्ग महिला के बेटों को खोजने के लिए जंगल भेजा, लेकिन काफी खोजने के बाद भी वे नहीं मिले।

घर में बुजुर्ग महिला की एक बहू थी, जिसके पति की मौत हो चुकी थी। थक हारकर प्रधान ने लोगों की मदद से पोखरी के निकट लकड़ियों को इकट्ठा करा कर शाम साढ़े 4 बजे अंतिम संस्कार कराया।

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