क्या कांग्रेस ने गुजरात में वापसी की उम्मीद छोड़ दी है? क्या पार्टी गुजरात विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर गंभीर नहीं है? क्या पार्टी इस बार पिछले चुनाव की तरह भाजपा को नहीं घेरेगी? कई ऐसे सवाल है, जो गुजरात कांग्रेस के हर नेता और कार्यकर्ता के जहन में है। क्योंकि, गुजरात चुनाव में एक साल से भी कम वक्त बचा है।

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में बेहतरीन प्रदर्शन के बाद यह उम्मीद जगी थी कि कांग्रेस अब अपनी स्थिति मजबूत करेगी। पर पिछले चार साल में पार्टी संगठन लगातार कमजोर हुआ है। पार्टी के एक दर्जन से अधिक विधायक भाजपा में शामिल हो चुके हैं। बाकी पार्टी विधायक भी खुद को अलग-थलग महसूस कर रहे हैं।

प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि गुजरात को लेकर पार्टी कितनी गंभीर है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले तीन माह से कोई प्रदेश प्रभारी नहीं है। राज्यसभा सांसद राजीव सातव का कोरोना से निधन के बाद मई से यह पद खाली है। पार्टी नेतृत्व ने भी प्रदेश कांग्रेस नेताओं से संगठन को लेकर कोई चर्चा नहीं की है।

पार्टी नेता ने कहा कि भाजपा ने पिछले साल में अपनी स्थिति मजबूत की है। चुनाव में अभी एक साल का वक्त है, पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। भाजपा लगातार मेहनत कर रही है। वहीं, लगातार हार के बावजूद पिछले चार साल से कांग्रेस नदारत है। पार्टी ने संगठन मजबूत बनाने की कोई कोशिश नहीं की है। हालांकि, पिछले चार साल में कांग्रेस की चुनौती बढ़ी हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल के निधन से भी कांग्रेस को झटका लगा है। वहीं, पिछले चुनाव की तरह इस बार पाटीदार आंदोलन नहीं है। दलित और दूसरी ओबीसी जातियों में भाजपा ने अपनी स्थिति मजबूत की है। ऐसे में पार्टी के लिए चुनौती लगातार बढ़ रही है।

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