कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के विरोध में एक रैली निकाली। इस दौरान ममता ने कहा कि सभी छात्र अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखें। लोकतांत्रिक तरीके से अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए ऐसे ही प्रदर्शन करें। उन्होंने मंगलोर हिंसा में मरने वाले दो लोगों के परिवारों को 5-5 लाख रुपये देने का ऐलान भी किया।

ममता ने अपनी इस रैली में ‘सीएए, एनआरसी वापस लो, वापस लो’ के नारे भी लगवाए। ममता ने कहा कि कर्नाटक में प्रदर्शनों के दौरान मारे गए लोगों के परिवार से मिलने के लिए तृणमूल कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल भेजा जाएगा। बता दें एक दिन पहले ही कर्नाटक के मुख्यमंत्री और भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा ने मंगलोर हिंसा में मरने वाले लोगों को मुआवजा तब तक नहीं देने की बात कही, जब तक मामले की जांच खत्म न हो जाए।

ममता ने छात्रों द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शन का पूरा समर्थन किया। उन्होंने छात्रों से कहा कि बिना डरे प्रदर्शन करते रहें। जब तक एनआरसी और सीएए को वापस नहीं ले लिया जाता, तब तक प्रदर्शन करते रहें। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा ने अपने वादों को पूरा नहीं किया है। उन्होंने येदियुरप्पा पर निशाना साधते हुए ये बात कही। दरअसल पहले तो येदियुरप्पा ने प्रदर्शनकारियों को मुआवजा देने का ऐलान किया था लेकिन जब मंगलोर पुलिस ने एक वीडियो जारी कर कहा कि ये प्रदर्शन योजनाबद्ध तरीके से हुए थे। तब येदियुरप्पा ने जांच से पहले मुआवजा देने से मना कर दिया।

क्या है सीएए और एनआरसी?

सीएए यानी नागरिकता संशोधन कानून के तहत तीन देशों (अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश) से उत्पीड़न का शिकार होकर भारत आने वाले गैर मुस्लिम समुदाय के लोगों को 6 साल यहां रहने के बाद भारतीय नागरिकता दे दी जाएगी। मुस्लिम समुदाय के लोगों को इसमें शामिल नहीं किया गया है। हालांकि मुस्लिम समुदाय के लोग भी 11 साल तक भारत में रहने के बाद यहां की नागरिकता हासिल कर सकते हैं। वहीं एनआरसी यानी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर अभी केवल असम में ही लागू हुआ है।

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