नई दिल्ली। आज इस गरिमामय सदन में मैं अपने सहयोगी साथियों को लद्दाख की पूर्वी सीमाओं पर हाल में हुई गतिविधियों से अवगत कराने के लिए उपस्थित हुआ हूँ, जैसा कि आपको ज्ञात है, हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी ने हाल ही में लद्दाख का दौरा कर हमारे बहादुर जवानों से मुलाकात की थी एवं उन्हें यह संदेश भी दिया था कि समस्त देशवासी अपने वीर जवानों के साथ खड़े हैं…
मैंने भी लद्दाख जाकर अपने शूरवीरों के साथ कुछ समय बिताया है और मैं आपको यह बताना चाहता हॅूं कि मैंने उनके अदम्य साहस, शौर्य और पराक्रम को महसूस किया है…
आप जानते हैं कि कर्नल संतोष बाबू और उनके 19 वीर साथियों ने अपनी मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है। अध्यक्ष महोदय, कल ही इस सदन ने दो मिनट मौन रखकर उन्हें अपनी श्रद्धांजली अर्पित की है…
जैसे कि यह सदन अवगत है चीन, भारत की लगभग 38,000 square km भूमि पर अनधिकृत कब्जा लद्दाख में किए हुए है। इसके अलावा, 1963 में एक तथाकथित Boundary-Agreement के तहत, पाकिस्तान ने PoK की 5180 square km भारतीय जमीन अवैध रूप से चाईना को सौंप दी है….
भारत तथा चीन, दोनों ने, औपचारिक तौर पर यह माना है कि सीमा का प्रश्न (Boundary question) एक जटिल मुद्दा है जिसके समाधान के लिए patience की आवश्यकता है तथा इस issue का fair, reasonable और mutually acceptable समाधान, शांतिपूर्ण बातचीत के द्वारा निकाला जाए…
यह भी बताना चाहता हूँ कि अभी तक India-China के border areas में commonly delineated Line of Actual Control (LAC) नहीं है और LAC को लेकर दोनों का perception अलग-अलग है…
इसलिए peace और tranquillity बहाल रखने के लिए दोनों देशों के बीच कई तरह के agreements और protocols हैं। इन समझौतों के तहत यह माना गया है कि LAC पर peace और tranquillity बहाल रखी जाएगी, जिसपर LAC की अपनी-अपनी respective positions और boundary question का कोई असर नहीं माना जाएगा…
भारत का मानना है कि, bilateral relations को विकसित किया जा सकता है, तथा साथ ही साथ boundary मुद्दे के समाधान के बारे में चर्चा भी की जा सकती है। परन्तु LAC पर peace और tranquillity में किसी भी प्रकार की गम्भीर स्थिति का bilateral relations पर निश्चित रूप से असर पड़ेगा…
वर्ष 1993 एवं 1996 के समझौते में इस बात का जिक्र है कि LAC के पास, दोनों देश अपनी सेनाओं की संख्या कम से कम रखेंगे…
समझौते में यह भी है, कि जब तक boundary issue का पूर्ण समाधान नहीं होता है, तब तक LAC को strictly respect और adhere किया जाएगा और उसका उल्लंघन नहीं किया जाएगा । इन समझौतों में भारत व चाईना, LAC के clarification द्वारा एक common understanding पर पहुचने के लिए भी committed हुए थे…
मैं सदन को वर्तमान स्थिति के बारे में बताऊॅं, मैं यह बताना चाहता हॅूं कि सरकार की विभिन्न intelligence agencies के बीच coordination का एक elaborate और time tested mechanism है जिसमें Central Police Forces और तीनों armed forces की intelligence agencies शामिल हैं….
अब मैं सदन को इस साल उत्पन्न परिस्थितियों से अवगत कराना चाहता हॅूं। अप्रैल माह से Eastern Ladakh की सीमा पर चीन की सेनाओं की संख्या तथा उनके armaments में वृद्धि देखी गई….
मई महीने की के प्रारंभ में चीन ने गलवान घाटी क्षेत्र में हमारी troops के normal, traditional patrolling pattern में व्यवधान शुरू किया जिसके कारण face-off की स्तिथि उत्पन्न हुई…..
हमने चीन को diplomatic तथा military channels के माध्यम से यह अवगत करा दिया, कि इस प्रकार की गतिविधियाँ, status quo को unilaterally बदलने का प्रयास है। यह भी साफ कर दिया गया कि ये प्रयास हमें किसी भी सूरत में मंजूर नहीं है…
LAC पर friction बढ़ता हुआ देख कर दोनों तरफ के सैन्य कमांडरों ने 6 जून 2020 को मीटिंग की। इस बात पर सहमति बनी कि reciprocal actions के द्वारा disengagement किया जाए।दोनो पक्ष इस बात पर भी सहमत हुए कि LAC को माना जाएगा तथा कोई ऐसी कार्रवाई नहीं की जाएगी, जिससे status-quo बदले….
इस सहमति के violation में चीन द्वारा एक violent face off की स्थिति 15 जून को गलवान में create की गई। हमारे बहादुर सिपाहियों ने अपनी जान का बलिदान दिया पर साथ ही चीनी पक्ष को भी भारी क्षति पहुचाई और अपनी सीमा की सुरक्षा में कामयाब रहे….
इस पूरी अवधि के दौरान हमारे बहादुर जवानों ने, जहाँ संयम की जरूरत थी वहां संयम रखा तथा जहाँ शौर्य की जरुरत थी, वहां शौर्य प्रदर्शित किया…
मै सदन से यह अनुरोध करता हूँ कि हमारे दिलेरों की वीरता एवं बहादुरी की भूरि-भूरि प्रशंसा करने में मेरा साथ दें। हमारे बहादुर जवान अत्यंत मुश्किल परिस्थतियों में अपने अथक प्रयास से समस्त देशवासियों को सुरक्षित रख रहे हैं…
एक ओर किसी को भी हमारे सीमा की सुरक्षा के प्रति हमारे determination (संकल्प ) के बारे में संदेह नहीं होना चाहिए, वहीँ भारत यह भी मानता है कि पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण संबंधों के लिए आपसी सम्मान और आपसी sensitivity आवश्यक हैं….
चूंकि हम मौजूदा स्थिति का dialogue के जरिए समाधान चाहते हैं, हमने Chinese side के साथ diplomatic और military engagement बनाए रखा है। इन discussions में तीन key principles हमारी approach को तय करते हैं…
i) दोनों पक्षों को LAC का सम्मान और कड़ाई से पालन करना चाहिए; (ii) किसी भी पक्ष को अपनी तरफ से यथास्थिति का उल्लंघन करने का प्रयास नहीं करना चाहिए; और (iii) दोनों पक्षों के बीच सभी समझौतों और understandings का पूर्णतया पालन होना चाहिए….
जब ये discussions चल ही रहे थे, चीन की तरफ से 29 और 30 अगस्त की रात को provocative सैनिक कार्रवाई की गई, जो Pangong Lake के South Bank area में status quo को बदलने का प्रयास था।लेकिन एक बार फिर हमारी सेना द्वारा timely और firm actions के कारण उनके ये प्रयास सफल नहीं हुए…..
जैसा कि उपर्युक्त घटनाक्रम से स्पष्ट है, चीन की कार्रवाई से हमारे विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों के प्रति उसका disregard दिखता है। चीन द्वारा troops की भारी मात्रा में तैनाती किया जाना 1993 और 1996 के समझौतों का उल्लंघन है….
LAC का सम्मान करना और उसका कड़ाई से पालन किया जाना, सीमा क्षेत्रों में शांति और सद्भाव का आधार है, और इसे 1993 एवं 1996 के समझौतों में स्पष्ट रूप से स्वीकार किया गया है। जबकि हमारी armed forces इसका पूरी तरह पालन करती हैं, Chinese side की ओर से ऐसा नहीं हुआ है….
अभी की स्थिति के अनुसार, Chinese side ने LAC और अंदरूनी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सैनिक टुकड़ियां और गोलाबारूद mobilize किआ हुआ है। पूर्वी लद्दाख और Gogra, Kongka La और Pangong Lake का North और South Banks पर कई friction areas हैं….
चीन की कार्रवाई के जवाब में हमारी armed forces ने भी इन क्षेत्रों में उपयुक्त counter deployments किए हैं ताकि भारत के security interests पूरी तरह सुरक्षित रहे…..