व्योमकेश पाण्डिया
विशेष संवाददाता
मुम्बई। कंगना रनौत के दफ्तर मणिकर्णिका पर बीएमसी की तोडफोड की कार्रवाई बाम्बे हाईकोर्ट के पुराने आदेश को देखते हुए अवैध है। इसे अदालत के आदेश का घोर उल्लंघन करार माना जा सकता है।
गौरतलब है कि कोरोना के कहर को देखते हुए हाईकोर्ट ने 30 सितंबर तक किसी भी तोडफोड की कार्रवाई पर रोक लगा रखी थी।
लेकिन इस आदेश से बेपरवाह बीएमसी ने कंगना के आफिस को अवैध निर्माण ठहराते हुएउसे जेसीबी से ढहा दिया। आफिस तहस नहस कर दिया गया। हाई कोर्ट ने सरकार को फटकारती लगाते हुए तोडफोड की कार्रवाई पर तत्काल रोक लगा दी। यही नहीं कोर्ट ने सीएमसी से जवाब माँगा है।
कंगना ने इस पर ट्वीट करते हुए कहा- यह लोकतंत्र की हत्या है। सच बोलने की सजा मिली है।
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कंगना के मुम्बई को पीओके कहने को मुम्बा देवी का अपमान बताया। लेकिन सीएम यह भूल गये कि कंगना ने पीओके का प्रयोग मुम्बई मे सीएए के विरोध और पाकिस्तान के समर्थन मे हुए प्रदर्शन के संदर्भ मे किया था। क्या पाकिस्तान का समर्थन मुम्बा देवी का अपमान नहीं था ? फिर पीओके भारत का ही हिस्सा है जिसे पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है।
दरअसल यह कुछ और नहीं उद्धव सरकार का कंगना के खिलाफ बदलापुर है।
कंगना का मात्र यही कुसूर था कि उसने अभिनेता सुशांत राजपूत की संदिग्ध मौत पर सवाल खड़ा कर दिया था। इस प्रकरण मे महाराष्ट्र सरकार की भूमिका एकतरफा और अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती को बचाने की थी। मुम्बई पुलिस पर राजनीतिक दबाव ने उसकी छवि पर खरोंच लगा दी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस घटना की सीबीआई जांच शुरू हुई। जांच के दौरान ड्रग्स एंगल सामने आया जिसके चलते रिया अपन भाई शौविक के साथ गिरफ्तार कर लिया गया। रात एनबीसी के लाक अप में काटने के बाद रिया आज भायखला जेल ले जायी गयी।
उधर इसी मुद्दे पर पहले मुम्बई पुलिस का पक्ष लेने और सुशान्त के 74 वर्षीय पिता को बदनाम करने वाले शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत ने कंगना रनौत को अनाप शनाप कहा जिसका अभिनेत्री ने भी मुहतोड़ जवाब दिया। नतीजा यह निकला कि शिवसेना गुस्से से भभक उठी। कंगना को केन्द्र से मिली सुरक्षा ने आग में घी का काम किया। इसलिए राज्य सरकार कंगना के पीछे हाथ धो कर पड़ गयी और परिणाम सामने है कि जिस बंगले को कंगना ने 48 करोड मे खरीद कर नीचे के तल मे आफिस बनाया था, उस पर महाराष्ट्र सरकार का आज हथौड़ा चल गया।