चीन के खिलाफ दक्षिण एशियाई देशों को एकजुट करे भारत
डॉक्टर रजनीकांत दत्ता
पूर्व विधायक, शहर दक्षिणी
वाराणसी ( यूपी )
आजादी के तुरंत बाद भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और चीन के तत्कालीन प्रधानमंत्री Zhou Enlai के बीच जो अवैध डिप्लोमैटिक relationship थी, उसकी परिणीति RECURRENT Honeymoon Stabbing थी, जिसका दंश भारत आज तक झेल रहा है।
इतने धोखे खाने और नुकसान उठाने के बाद भी, न जाने वह कौन सी मज़बूरी है कि, हम बार-बार इस चीनी राजनीतिक वैश्या का अक्श देखते और मुजरा सुनते आ रहे हैं।यह महात्मा गांधी का देश है, जिनके सिद्धांतों के अनुसार, अगर कोई तुम्हारे गाल पर एक तमाचा मारे, तो बजाए पलटवार के दूसरा गाल भी उसके आगे कर दो।
लेकिन 2014 में जिस युगपुरुष का यह देश है वह सोलहों कलाओं में पारंगत, सुदर्शन चक्रधारी, भगवान श्रीकृष्ण का शिष्य है। जो काल और परिस्थितियों के अनुसार, अब इस सिद्धांत में विश्वास रखता है,कि OFFENCE IS THE BEST DEFENCE। यानी की इसके पहले की कोई तुम्हे नुकसान पहुंचा सके, उसे हमेशा के लिए खत्म कर दो।
कहते हैं, जो बीतना था, बीत गया।बीता हुआ कल वापस नहीं आता।उस समय जो गलतियाँ हुई थीं, उनकी विवेचना के बाद उन्हें फिर से न दोहराने का संकल्प लेना चाहिए।और उसी परिपेक्ष्य में सक्षम कूटनीति की तैयारी कर लेनी चाहिए।
इस समय मेरा देश सीमा पर चीन के विस्तारवादी हमले और उसके पिट्ठू पाकिस्तानी आतंकवाद तथा देश में COVID-19 के रूप में चीन द्वारा किए गए BIOLOGICAL हमले से प्रभावित है।
मौजूदा परिस्थितियों में, हमारी कूटनीति और रणनीति क्या होनी चाहिए, यह चीन और पाकिस्तान के परिपेक्ष्य में देशवासियों और कर्णधारों के संज्ञान में कुछ तत्व लाना चाहूँगा।
चीन के संबंध में –
तिब्बत, जिसपर चीन का अवैध कब्जा है। तत्काल प्रभाव से भारत को उसे स्वतंत्र गणतंत्र की मान्यता देनी होगी। भारत में राजनयिक स्तर पर तिब्बती दूतावास की स्थापना करते हुए, भारत में ही आदरणीय दलाई लामा के नेतृत्व में,TIBBET GOVT. IN EXILE की स्थापना करनी होगी। साथ ही मित्र देशों से दलाई लामा के नेतृत्व वाली तिब्बत गवर्नमेंट को मान्यता दिलाने के प्रयत्न करने होंगे।
ताइवान को स्वतंत्र गणराज्य मानते हुए, उससे राजनीतिक संबंध पुख्ता करने हेतु, वहां INDIAN EMBASSY खोलनी होगा। HONG KONG और CENTRAL MONGOLIA की आज़ादी की लड़ाई को समर्थन देना होगा।
सभी 16 राष्ट्र चीन के विस्तारवादी मंसूबों के चंगुल में
चीन पहले ही अपनी विस्तारवादी नीति के तहत पूरी दुनिया पर COVID-19 के रूप में हमला कर चुका है। उसकी सीमा पर स्थित सभी 16 राष्ट्र उसके विस्तारवादी मंसूबों के चंगुल में हैं।
INTERNATIONAL COURT OF JUSTICE के फैसले के विरुद्ध वह SOUTH CHINA SEA को INTERNATIONAL क्षेत्र न मानकर, उसे अपना अंग बताता है। साथ ही अपनी सैन्य शक्ति के बल पर अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में बाधा पहुँचाता है।
यानी कि चीन दक्षिण कोरिया, जापान, वियतनाम, न्यूज़ीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया, ताइवान के हितों में बाधक ही नहीं, बल्कि उन देशों पर हमला करने के लिए प्रतिबद्ध भी है। इसीलिए भारत को चाहिए कि, वह NATO की तरह एक SOUTH EAST ASIA TREATY ORGANISATION बनाये, जिसमें दक्षिण कोरिया, जापान, वियतनाम, ऑस्ट्रेलिया, भारत, न्यूज़ीलैंड, मलेशिया शामिल होंगे। और यदि थर्ड वर्ल्ड वॉर CONVENTIONAL रूप में छिड़ता है, तो उसका ARENA चीन का Homeland होगा। जिस पर,
SOUTH EAST ASIA TREATY ORG. के सभी देश एकमत होकर, निश्चित स्ट्रेटेजी के तहत एकसाथ एक ही वक्त हमला करेंगे। इसमें AMERICA तो इस TREATY ORG. के साथ है ही, लेकिन जिस तरह से RUSSIA के सामरिक महत्व के सबसे बड़े MILITARY NAVAL BASE ब्लाडिवोस्टक को चीन अपना हिस्सा बता रहा है, उसके परिप्रेक्ष्य में RUSSIA को भी कोई निर्णय लेने के पहले चीन की विस्तारवादी मानसिकता को समझना होगा, क्योंकि उससे वह भी प्रभावित है।
SOUTH CHINA SEA का INDIAN OCEAN का जल प्रवेश मार्ग मल्लक्का जल डमरूमध्य है। अग्र SOUTH EAST ASIA TREATY ORG. के सभी देश इस जल मार्ग का NAVAL ब्लॉकेज कर दें, तो यह INDIAN OCEAN और ARABIAN SEA स्थित देशों तक चीन का समुद्री मार्ग अवरुद्ध कर देगा। जो एक प्रकार से चीन पर आर्थिक प्रतिबंध होगा और वॉर टाइम में उसके लिए एक बहुत बड़ी समस्या।
चीन एक सूदखोर मक्कार विस्तारवादी भू-माफिया है, जो भारत को ASIA में अपना निकटतम प्रतिद्वंद्वी मानता है। इसलिए भारत की सीमा को छूते हुए देश जैसे नेपाल, म्यांमार, बांग्लादेश, श्रीलंका और बंगाल की खाड़ी में स्थित MALDIVES जैसे अर्ध-विकसित देश हैं और अपनी मजबूरियों के कारण आकंठ विदेशी कर्ज़े में डूबे हुए हैं। इन देशों के हालात तो यहां तक बदतर हो चुके हैं कि, कर्ज़े का ब्याज चुकाने के लिए भी उन्हें कर्ज़ लेना पड़ता है। इसके अलावा उनके देश की मुद्रा का अवमूल्यन तो हो ही रहा है, उन्हें अपने नागरिकों की बुनियादी जरूरतें पूरी करने के लिए उन्हें और कर्ज लेना पड़ रहा है।जिसके मिलने में उन्हें कठिनाइयां हो रही हैं। यह देख कर चीन ने उन्हें आसान शर्तों पर कर्ज देने का प्रस्ताव रखा और यह भी कहा कि, वह उनका INFRASTRUCTURE भी सुधारेगा और रोजमर्रा के काम आने वाले ITEMS को भी उन्हें सस्ते दामों में उपलब्ध कराएगा। यानी एक तीर से 3 शिकार। पहला, ये देश चीनी कर्ज़े के दबाव में अपनी सार्वभौम सत्ता चीनियों के हाथ गिरवी रख देंगे। दूसरे बीजिंग INFRASTRUCTURE के नाम पर भारत को घेरने के लिए दूरगामी STRATEGY के तहत भारत के खिलाफ, इन देशों में अपना मारक क्षमता वाला MILITARY BASE बनायेगा। जैसा उसने पाकिस्तान में चीन से अरब सागर में स्थित GWADAR NAVAL BASE बनाया, जिसे चीन-पाकिस्तान ECONOMIC CORIDOOR से जोड़ दिया। इसी तरह नेपाल में INTERNATIONAL AIRPORT की तरह दो हवाईअड्डे जिनपर युद्धकाल में FIGHTERS और BOMBERS उतारे जा सकते हैं और MALDIVES एवं SRILANKA में भी नेवल बेस बनाये गये। तीसरा यह कि, Made In China Goods के लिए बाजार भी उपलब्ध होगा।
नेपाल एक हिन्दू राष्ट्र है। त्रेता युग से हमारा उससे रोटी और बेटी का संबंध रहा है। भगवान राम की ससुराल जनकपुर, उसी भू-भाग में थी, जिसे NEPAL कहते हैं। द्वापर युग का पशुपति नाथ मंदिर भी नेपाल में है। भारतीय फौज की गोरखा बटालियन में भी नेपाली ही हैं। भारत सरकार को इन संबंधों को फिर से मज़बूत करना पड़ेगा।
Burma और SRILANKA बुद्ध धर्म प्रभावित क्षेत्र हैं और अंग्रेजों के शासन काल में भारत, बर्मा और सीलोन एक ही राष्ट्र थे। इनको चीन की विस्तारवादी नीति समझाते हुए और यह भी बताते हुए कि, चीन जहाँ भी जाता है, जिस भूभाग पर कब्ज़ा करता है, वहां के मूल नागरिकों का MASSGENOCIDE कर देता है। और वहाँ चीनी नागरिकों को बसा देता है। जैसा उसने तिब्बत और मंगोलिया में किया और अपने ही देश के शिनजियांग प्रान्त के उईगर मुसलमानों के साथ कर रहा है। इसके लिए तिब्बत रेडियो इन EXILE, हॉन्गकॉन्ग रेडियो इन EXILE, मंगोलिया रेडियो इन EXILE जैसे पायरेट TV, RADIO द्वारा चीन की पोल खोलते हुए, इन देशों के लोगों की सोच बदलनी होगी।
यह सभी जानते हैं कि, हमारे बाजार MADE IN CHINA COMMODITY से भरे पड़े हैं। इससे हमारी मेड in इंडिया की नीति पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।इसलिए जो GOODS मार्केट में हैं, उन पर MAXIMUM GST SLAB लगा दिया जाए और चीन पर अपरोक्ष रूप से आर्थिक प्रतिबंध लगाने के लिए, दवाइयों के रॉ मैटेरियल्स, दो पहिया, चार पहिया वाहनों के ASSEMBLING parts और इलेक्ट्रॉनिक गुड्स आदि का तत्काल प्रभाव से आयात बंद कर दें। और यदि आयात करें, तो उन पर 100% DUTY और DUMPING TAX लगा दें।
अभीतक तो यह कहा जा रहा था कि, COVID-19 एक VIRAL इंफेक्शन है। अब सुनने में आ रहा है कि, WHO कह रहा है कि, यह तो एक BACTERIAL INFECTION है। यह निकृष्ट कोटि का जनवादी विश्वासघात है, जिसके पीछे चीन का हाथ है। जिस तरह से COVID-19 को BIOLOGICAL WEAPON की तरह इस्तेमाल करने के लिए चीन पर उंगलियाँ उठ रही हैं और जिस तरह उसने SOUTH CHINA SEA में INTERNATIONAL COURT ऑफ JUSTICE का उल्लंघन किया, उसे देखते हुए सर्वप्रथम SECURITY COUNCIL से चीन की स्थाई सदस्यता CANCEL कर देनी चाहिए और UNO से भी उसकी सदस्यता समाप्त कर देनी चाहिए।
इसके पहले कि चीन छद्म युद्ध लड़ते-लड़ते इतना बलवान हो जाए की वह पूरी दुनिया के लिए भस्मासुर साबित हो, दुनिया के सभी अन्य राष्ट्रों को एक जुट होकर तत्काल प्रभाव से DRAGON की आक्रामक क्षमता को हमेशा के लिए चीन के भू-भाग के साथ समाप्त कर देना होगा।
यानी चीन और विनाशकारी गतिविधियाँ, जिन्हें दुनिया ने वर्तमान में झेला वह इतिहास बन जाए।
अंत में भारत सरकार से मैं इतना ही कहना चाहूँगा कि, पृथ्वीराज चौहान ने मुहम्मद गोरी को 17 बार हराया, लेकिन उसका समूल नाश नहीं किया। लेकिन 18वीं बार जब गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को हराया, तो उन्हें बंदी ही नहीं बनाया, बल्कि उनकी आँखें भी निकल लीं।
सन 1962 से यही मूर्खता हम बार-बार कर रहे है, लेकिन अबकी बार नहीं।
यह आर-पार की,
हमारे अस्तित्व की लड़ाई है।
THE BEST WAY OF DEFENCE IS OFFENCE!!!
वंदे मातरम।
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳