सी के मिश्रा
वित्त विश्लेषक
आयकर की धारा में दो तरह के पूंजीगत लाभ होते हैं एक तो लंबी अवधि के लिए दूसरा है कम अवधि के लिए। लंबी अवधि के लिए कोई प्रॉपर्टी यदि 24 महीने से ज्यादा आपके पास है, मतलब जिस दिन आप बेच रहे हैं उसे 24 महीने पहले खरीदी गई या बनाई गई है तो उसको लंबी अवधि में माना जाता है । लेकिन 24 महीने।के अंदर अगर कोई प्रॉपर्टी बेचते हैं तो कम अवधि के हिसाब लाभ और हानि निकाली जाती है। लाभ हानि को को नियमित विधि से निकला जाता है जैसे जितने में प्रॉपर्टी खरीदी जाती है और जितने बेची जाती है उसमे खरीदने वाली राशि का इंडेक्सेशन किया जाता जिससे उस समय खर्च की गई राशि का आज का मूल्य पता चल जाता है। उसको प्रॉपर्टी का खरीद मूल्य माना जाता है । उसको बेची हुई राशि से घटाया जाता है अगर कोई लाभ होता है तो उस पर 20% टैक्स लगता है । अगर लाभ लंबी अवधि का है और अगर कम अवधि का है तो आपकी नियमित आय में जोड़ दिया जाता है ।लेकिन अगर आपको टैक्स बचाना है तो कई तरह से आप आगे निवेश कर सकते हैं। जिसमें नई प्रॉपर्टी लेना अगर आपके पास एक ही घर है। सरकार ने कुछ बॉन्ड निर्धारित किए हैं उसमें आपको निवेश कर सकते हैं जैसे REC और NAHI .।