गंगा महासभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक वाराणसी के दुर्गाकुंड स्थित हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय में सम्पन्न हुई।

बैठक की शुरुआत गंगा महासभा के राष्ट्रीय सांस्कृतिक प्रमुख व्यास जी मौर्य द्वारा गंगा गीत प्रस्तुति से हुई।

बैठक को सम्बोधित करते हुए गंगा महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती जी ने संगठन के इतिहास पर प्रकाश डाला। उन्होने कहा कि गंगा महासभा की स्थापना गंगा जी की रक्षा हेतु 1905 में भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय जी ने की थी । संगठन के पिछले वर्ष के कार्यों पर प्रकाश डालते हुये स्वामी जी ने कहा कि गंगा जी पर जो कानून भारत सरकार ने ड्राफ्ट किया है उसको शीघ्र ही सदन से पारित कराया जाए। गंगा महासभा द्वारा आगामी वर्ष में गंगोत्री से लेकर गंगा सागर तक के बीच किसी स्थान को चिन्हित कर भगीरथ कीर्ति स्तम्भ स्थापित करने की योजना है।

कलयुग का तीर्थ गंगा जी ही हैं

गंगा जी एवम नदी से जुड़े विषयों पर अनुसंधान के लिए शोध केंद्र स्थापित किया जाएगा। स्वामी जी ने कहा कि कलयुग का तीर्थ गंगा जी हैं।
इसका उल्लेख महाभारत में आया है।गंगा महासभा ने 115 वर्षों के अपने समयकाल में किसी भी सरकार या सत्ता से एक रुपये का भी सहयोग नही लिया है।

श्रद्धालुओं को निशुल्क शुद्ध गंगाजल
पहुंचाने पर विचार – गोविंद शर्मा

राष्ट्रीय संगठन महामंत्री श्री गोविंद शर्मा जी ने कहा कि गंगा महासभा देशभर के श्रद्धालुओं को शुद्ध गंगाजल पहुंचाने पर विचार कर रही है. इसके लिए निशुल्क ब्यवस्था होगी। गंगा जी किनारे के गांवों को केंद्रित करके इकाई विस्तार की योजना है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता आर पी सिंह जी ने की। कार्यक्रम में राष्ट्रीय मंत्री विनय तिवारी,धीरज सक्सेना,उपाध्यक्ष धर्म चंद्र पोद्दार, महामंत्री नवीन तिवारी,देवेंद्र तिवारी, मंत्री अजय उपाध्याय, शिवम जी

कार्यक्रम की ब्यवस्था कार्यालय मंत्री मयंक जी ने की।

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