राची। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को कोरोना संक्रमण के खतरे से बचाने के लिए बिना किसी अन्य विकल्पों पर चर्चा और उच्च अधिकारियों से विचार- विमर्श किए बिना रिम्स के निदेशक बंगले में शिफ्ट किए जाने पर शुक्रवार को झारखंड हाईकोर्ट ने गंभीर टिप्पणी की है। जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की अदालत ने जेल मैनुअल उल्लंघन से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि सरकार कानून से चलती है, व्यक्ति विशेष से नहीं।

कोर्ट ने कहा कि रिम्स प्रबंधन ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि लालू प्रसाद को निदेशक बंगला में शिफ्ट करने के पहले और कौन से विकल्पों पर विचार किया था और निदेशक बंगले को ही क्यों चुना गया। रिम्स निदेशक को कुछ और विकल्पों पर गौर करना चाहिए था। नियमों और प्रावधानों के अनुसार ही निर्णय लेना चाहिए था। झारखंड हाईकोर्ट शुक्रवार को लालू प्रसाद के जेल मैनुअल का उल्लंघन करने से संबंधित मामले की सुनवाई कर रहा था। 

शुक्रवार को सुनवाई के दौरान जेल आईजी की ओर से रिपोर्ट पेश की गयी। इसमें बताया गया कि रिम्स प्रबंधन ने कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लालू प्रसाद को निदेशक बंगले में शिफ्ट किया था। अदालत को बताया गया कि जेल से बाहर ईलाज के लिए यदि कैदी शिफ्ट किए जाते हैं तो उसकी सुरक्षा और उसके लिए क्या व्यवस्था होगी इसका स्पष्ट प्रावधान जेल मैनुअल में नहीं है। जेल के बाहर सेवादार दिया जा सकता है या नहीं इसका भी जेल मैनुअल में स्पष्ट प्रावधान नहीं है। इसकी एसओपी भी नही है।

सरकार अब जेल मैनुअल को अपडेट कर रही है और एसओपी भी तैयार कर रही है। एसओपी तैयार होने  के बाद उसी के अनुसार सभी प्रावधान किए जाएंगे। इस पर अदालत ने सरकार को 22 जनवरी को एसओपी पेश करने का निर्देश देते हुए सुनवाई स्थगित कर दी। दिसंबर में इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार को लालू प्रसाद से तीन माह में मुलाकात करने वालों की सूची मांगी थी।

पिछली सुनवाई में सरकार की ओर से लालू प्रसाद के निदेशक बंगला में शिफ्टिंग और सेवादार दिए जाने के मामले पर सरकार की ओर से स्पष्ट जानकारी नहीं दी गयी थी। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए आठ जनवरी को जानकारी देने का अंतिम मौका दिया था।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here