एक तरफ सरकार कानून की मदद से प्राइवेट डिजिटल करेंसी पर रोक की बात कर रही है दूसरी तरफ क्रिप्टोकरेंसी की वैश्विक स्वीकार्यता को ध्यान में रखते हुए रिजर्व बैंक की डिजिटल करेंसी की भी वकालत कर रही है। फिलहाल क्रिप्टोकरेंसी को लेकर लीगस स्टेटस क्लियर नहीं है जिसके कारण निवेशकों में संशय है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में करीब 10 हजार करोड़ रुपए डिजिटल करेंसी में निवेश किया गया है।

रिजर्व बैंक की तरफ से कई मौकों पर कहा जा चुका है कि वह डिजिटल करेंसी के पक्ष में है और इस दिशा में काम जारी है। आरबीआई की टीम सरकारी डिजिटल करेंसी के टेक्निकल पहलू और अन्य प्रक्रियाओं को लेकर काम कर रही है। पिछले दिनों खुद गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि हमारी टीम इसकी लॉन्चिंग को लेकर काम कर रही है। दूसरी तरफ सरकार क्रिप्टोकरेंसी एंड रेग्युलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल 2021 की मदद से देश में प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर रोक लगाने के काम में जुटी है।।इसी बिल के माध्यम से रिजर्व बैंक की डिजिटल करेंसी को भी कानूनी मान्यता मिलेगी। इस बिल को बजट सेशन में ही पेश किया जाना था लेकिन सरकार अन्य स्टेकहोल्डर्स से चर्चा कर रही है।

वर्तमान निवेशकों में संशय

इस समय प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी के निवेशकों में संशय बना हुआ है कि उनका क्या होगा। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि वर्तमान निवेशकों को इससे निकलने का समय मिल सकता है। माना जा रहा है कि निवेश को मोनेटाइज करने के लिए निवेशकों को 3-6 महीने का समय मिल सकता है। एक समय सीमा की घोषणा की जाएगी उसके बाद प्राइवेट डिजिटल करेंसी पर पूरी तरह पाबंदी होगी। ना तो इसकी ट्रेडिंग की जा सकेगी ना ही माइनिंग की जा सकती है।

अभी तक फाइनल ड्रॉफ्ट तैयार नहीं

फिलहाल क्रिप्टोकरेंसी एंड रेग्युलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल 2021के अलग-अलग पहलुओं पर गंभीरता से अलग-अलग स्टेक होल्डर्स के साथ चर्चा की जा रही है। अभी तक कैबिनेट के बाद इस बिल का फाइनल ड्रॉफ्ट नहीं पहुंचा है। सरकार और रिजर्व बैंक का साफ-साफ मानना है कि प्राइवेट डिजिटल करेंसी का देश के फाइनेंशियल सिस्टम पर ज्यादा बुरा असर होगा और अच्छा असर काफी कम होगा।

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