भारत में कोरोना वायरस के कहर के बीच अमेरिका अब मदद के लिए मिशन मोड में आ चुका है। अमेरिका की शीर्ष 135 कंपनियों के CEO ने तुरंत मदद पहुंचाने का भरोसा जताया है और उन्होंने इस दिशा में काम करना भी शुरू कर दिया है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने मंगलवार को 135 सीईओ के साथ जूम कॉल पर बैठक की, जिसके बाद ये फैसला लिया गया।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इससे पहले फोन पर बात कर चुके हैं। बैठक में मौजूद एक भारतीय-अमेरिकी CEO ने बताया कि अमेरिकी सेना और विदेश मंत्रालय दवाइयां व अन्य राहत सामग्री को तुरंत पहुंचाने के लिए समन्वय स्थापित करने में लगा हुआ है। जानकारी के मुताबिक UPS और United/Delta ने पहले ही राहत सामग्री को भारत स्थिति एमेजॉन पहुंचाने के लिए विमान भेजने की तैयारी कर ली है। इसके अलावा वेंटिलेटर्स का तुरंत वितरण करने के लिए भी काम चल रहा है। बैठक में सभी कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों ने मदद का पूरा भरोसा जताया है। अमेरिकी सरकार भी पूरी तरह से समर्थन में है।

सभी बड़ी कंपनियां स्थिति से अवगत

भारत में कोरोना वायरस की जो स्थिति है, उससे सभी बड़ी कंपनियां अवगत हैं। गूगल, आईबीएम, जेपी मॉर्गन, नवीन लैब्स, फेडएक्स वॉलमार्ट, कोक, जॉनसन एंड जॉनसन, फाइजर सभी इस बात को अच्छे से जानते हैं कि भारत पर पड़ने वाला प्रभाव पूरी दुनिया के स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

सैन्य मोबाइल अस्पताल भी भेजने की तैयारी

भारत में पैदा हुए सीईओ ने यह भी जानकारी दी कि बैठक में सहमति बनी है कि अमेरिका ICU के लिए कई सैन्य मोबाइल अस्पताल भी भेजेगा। विदेश मंत्री ब्लिंकन ने कहा कि ज्यादा से ज्यादा मदद भारत के लिए भेजी जा रही है। अमेरिकी सरकार के पास मौजूद अतिरिक्त एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को भी भारत में बनने वाली वैक्सीन के कच्चे माल के साथ भेजा जा रहा है। इसके अलावा अतिरिक्त ऑक्सीजन उपकरणों को भी जंग के मैदान में तैनात अस्पतालों की ओर डाइवर्ट कर दिया गया है।

हरसंभव मदद का प्रयास

गूगल भारत में कोरोनावायरस के मामलों को ट्रैक करने में मदद कर रहा है। लॉकहीड मार्टिन कंपनी अपने हेलिकॉप्टर्स और कार्गो फ्लाइट्स भेज रही है ताकि छोटे शहरों तक भी उपकरण पहुंचाए जा सके। कई कंपनियों ने अपने खाली ऑफिसों को वैक्सीन सेंटर के तौर पर उपयोग करने की पेशकश की है। अमेरिका दिखाना चाहता है कि इस संकट की घड़ी में वह भारत के साथ पूरे दिल से खड़ा है और अपने पैसों, उपकरणों से मदद करने को तैयार है। ऐसा कम ही देखने को मिला है जब सरकार और निजी कंपनियां मिलकर किसी काम में जुट गई हों।

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