बीसीसीआई अध्यक्ष की कमान संभाली

सीओए का कार्यकाल इसी के साथ समाप्त

विशेष संवाददाता

नई दिल्ली। वैसे तो पचास के दशक मे महाराज कुमार विजयानगरम ‘विजी’ को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के प्रथम अध्यक्ष होने का श्रेय है, जिन्होंने पचास के दशक मे यह कमान संभाली थी। लेकिन तीन टेस्ट खेले विजी खिलाडी कम प्रशासक और इस खेल के प्रमोटर यानी उन्नायक ज्यादा थे।

इस लिहाज से देखा जाय तो देश का महानतम कप्तान सौरभ गांगुली, जिसने अपने नेतृत्व काल मे न सिर्फ एक से बढ़ कर एक खिलाडी टीम को दिये बल्कि उसके दब्बू अंदाज को अतीत बनाते हुए आक्रामकता का वह जज्बा भी भरा जो पहले कभी नजर नही आता था, आज क्रिकेट के सर्वोच्च प्रशासकीय पद पर काबिज होने जा रहा है।
‘खेल खिलाड़ी का ही होना चाहिए’, सूत्र वाक्य आज चरितार्थ हो गया । दादा ने जिस तरह राष्ट्रीय टीम को सबल नेतृत्व दिया वैसी ही भूमिका बीसीसीआई के बतौर अध्यक्ष उनके निर्वहन की क्रिकेट प्रेमी अपेक्षा रख रहा है। एक प्रशासक के रूप मे बाबू मोशाय बोर्ड की धूमिल हो चुकी छवि को चमकदार बनाएगे, यह उम्मीद कही से भी बेमानी नही है।। आपको हार्दिक शुभकामनाओ के साथ बधाई सौरभ दा।

उधर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को प्रशासकों की समिति (सीओए) से कहा कि जैसे ही बीसीसीआई के नए अधिकारी अपना कार्यभार सम्भाल लेंगे, वह अपना काम बंद कर दे। दो जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति एसए बोबडे ने कहा कि बीसीसीआई के हित में कोई भी फैसला लेने के क्रम में सीओए के खिलाफ कोई सिविल या फिर आपराधिक मामला नहीं बनता।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अध्यक्ष विनोद राय की टीम 23 अक्टूबर को नए अध्यक्ष सौरभ गांगुली और उनकी टीम के कार्यभार सम्भालते ही अपना कार्यालय बंद कर देगी।

न्यायालय ने बीसीसीआई से कहा है कि वह कानूनी खर्चो सहित सीओए के हर खर्च को वहन करे। अदालत ने यह भी देखा कि सीईओ द्वारा हस्ताक्षरित सीओए का पारिश्रमिक भी स्वीकृत है।

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