डाक्टर रजनीकांत दत्ता
पूर्व विधायक, शहर दक्षिणी
वाराणसी (यू पी)

किसी जनपद में जल के सोत्र के रूप में केवल दो कुँए थे। एक कुआं लबालब सुगंधित,शीतल और निर्मल जल से इतना लबरेज हुआ करता था कि, केवल हाथ में लौटा या बाल्टी लेकर उससे पानी निकाला जा सकता था। दूसरे कुएं में पानी निकालने के लिए एक लंबी सी रस्सी में बाल्टी को बांधकर पानी निकालना पड़ता था । उसका भी जल निर्मल और ठंडा था। दोनों कुओं में फर्क सिर्फ इतना था कि,पहले कुँए में जल निकालने के पूर्व एक निश्चित धनराशि डालनी पड़ती थी।और उसी कुएं में एक अफीम की सोती भी खुलती थी जो शायद चीन जैसे राक्षस देशों से आती थी । फल स्वरुप यह पूरा पैसा चीन पहुंच जाता था और इसी पैसों का उपयोग वह हमारे हितों के विरुद्ध करता था। इस कुएं का पानी पीने वाले ऐसे लोग थे, जिन्होंने न कभी देश के वर्तमान की चिंता की न भविष्य की। बल्कि वे अफीम मिले हुए इस पानी को पीकर सुख-सुविधा के अपने अस्तित्व का जुगाड़ करने में लगे रहते थे।

दूसरे कुँए में भी जल लेने के पूर्व कुछ धनराशि डालनी पड़ती थी।जो कालांतर में फिर लौटकर उसी जनमत के निवासियों के पास वापस आ जाती थी। उनकी समृद्धि, सुरक्षा और व्यवस्था पर व्यय होती थी।

आप समझ गए न कि कहानी के माध्यम से मैं आपको क्या बताना चाहता हूं और क्या चेतावनी देना चाहता हूं।

देशवासियों, चीन में निर्मित एवं वहाँ से आयातित Items, भले ही सुंदर सस्ते और मादक ही क्यों न हो।अगर आप उसे खरीदते हैं,तो आप देश के गद्दार हैं और भारत माता की पीठ में खंजर भोंक रहे हैं।

आपको मैं चिन्हित कर रहा हूं लेकिन आप से कहीं ज्यादा हमारी पूर्व केंद्रीय सरकारों की अदूरदर्शिता है और वर्षों से चली आ रही देशहित के विरुद्ध, 1947 से 2014 तक के काले अंग्रेजों की मानसिकता वादी सरकारे है।जिसने हमें इस दुर्दशा तक पहुंचा दिया,जिसका दंश हम आज तक झेल रहे हैं।

कहते हैं जब देश में अनाचार,भ्रष्टाचार या अनाचार इस हद तक बढ़ जाते हैं कि, देशभक्त और सज्जन लोगों का जीवन दूभर हो जाता है। तो भगवान मनुष्य रूप में स्वयं अवतार लेते हैं या अपने किसी प्रतिनिधि को असहनीय और अमानवीय कष्टों से हमें छुटकारा दिलाने के लिए भेजते हैं।ऐसा ही कुछ पवित्र कुरान शरीफ के 20वें सूरा लिसा में भी यही लिखा गया है।

आत्मनिर्भर व्यक्ति कभी अत्याचारों से समझौता नहीं करता न ही घुट-घुट कर जीता है। वह स्वयं तो आत्मनिर्भर होता ही है और विश्व में हमारी जननी जन्मभूमि को सबसे आत्मनिर्भर शक्तिशाली राष्ट्र बनाने के लिए,वह स्वदेशी का उदघोष करता है,और उसे अपनाता भी है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here