विशेष संवाददाता
हर कोई जानता है कि वर्तमान में अमेरिका के हालात ऐसे हैं कि वहां सचमुच स्थिति बेहद ही गंभीर है। इसके चलते ट्रंप के हाथ पांव फूले हुए हैं। वहां एक अश्वेत की पुलिस हिरासत मे हुई मौत के बाद भडके दंगों को लेकर लेफ्ट लॉबी ने भी भारी दबाव बना रखा है, जो ट्रंप के लिए एक तगड़े झटके के समान है। लेकिन, इस बात में कोई संदेह नहीं है कि ऐसे हालात में भारत और अमेरिका एक दूसरे के संकटमोचक साबित हो सकते हैं।
सीधे तौर पर अगर ये कहें कि अमेरिका को इस हालात से निकलने के लिए भारत की तरफ से ‘राहत मंत्र’ मिलने की संभावना है, तो वहीं निश्चित तौर पर इसके बदले में चीन के खिलाफ चल रही तनातनी में भारत को अमेरिका के साथ की उम्मीद होगी। तो क्या ऐसी संभावना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच हुई बातचीत में भारत ने अमेरिका से चीन के खिलाफ भी करार किया जा सकता है?
लद्दाख बॉर्डर पर चीन की चालबाजी किसी से नहीं छिपी है। घुसपैठ के जरिए वो भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन शायद वो इस बात को भूल गया है कि भारत चिल्लाने में नहीं बल्कि निशाना लगाने में यकीन रखना है। चीन चाहें जितना भी बौखलाहट दिखा ले। लेकिन भारत की नीतियों के आगे ड्रैगन की एक नहीं चलने वाली है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस कोरोना वायरस के लिए पूरी दुनिया का गुनहगार कई बार चीन को बता चुके है। ट्रंप ने बार-बार चीन की करतूत के लिए उसे लताड़ लगाई है। इतना ही नहीं, ट्रंप ने बार-बार इस बात की ओर इशारा किया है कि वो भारत के हर कदम पर साथ हैं। फोन पर बातचीत के दौरान ट्रंप ने USA में आयोजित होने वाले अगले G-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत के पीएम नरेंद्र मोदी को निमंत्रण भी दिया।
ऐसे में ये समझना मुश्किल नहीं है कि भारत और चीन के बीच युद्ध के हालात में ट्रंप खुलकर भारत का साथ देने का भरोसा दे सकते हैं और ये करार उस वक्त होना और भी अधिक जरूरी हो जाता है, जब अमेरिका ऐसे हालातों से जूझ रहा हो।