विशेष संवाददाता

आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को पूरी दुनिया में अलग-थलग करने की मोदी सरकार की कूटनीति को एक बड़ी कामयाबी मिली है। इसके पहले एफएटीएफ में पाकिस्तान को बचाने वाले उसके दो सदाबहार मित्र चीन और सऊदी अरब अब आतंकियों के वित्त पोषण (टेरर फंडिंग) पर रोक लगाने में नाकाम रहने की वजह से इस्लामाबाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए भारत, अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों के साथ खड़े हो गये हैं। अब सिर्फ तुर्की ही एकमात्र ऐसा देश है, जो इस मुद्दे पर मजबूती से पाकिस्तान के साथ खड़ा है।

चीन के रुख में बदलाव भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत

राजनयिक सूत्रों के मुताबिक, चीन और सऊदी अरब ने एफएटीएफ से किये गये वायदे पूरे न करने पर पाकिस्तान को कड़ा संदेश देने का फैसला किया है। अभी तक आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान की सभी करतूतों की अनदेखी करते हुए प्रत्येक मंच पर उसका साथ देने वाले चीन के रुख में आया यह बदलाव सबसे महत्वपूर्ण है और इसे भारत सरकार की बड़ी कूटनीतिक जीत के रूप में देखा जा रहा है।

अब पाकिस्तान पर असली दबाव पड़ने के आसार

चीन और सऊदी अरब के इस रुख के बाद अब पाकिस्तान पर इस बात का पूरा दबाव होगा कि, वह जून में होने वाली फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की अगली बैठक के पहले ही अपने पाले हुए आतंकवादी संगठनों की फंडिंग पर कारगर तरीके से रोक लगाये। इसके साथ ही उसे आतंकवादी संगठनों के नेताओं पर मुकदमा चला कर अदालतों में दोषी साबित करना होगा। ऐसा न करने पर उसे एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाएगा। इसका सीधा अर्थ यही है कि, एफएटीएफ की बैठक के पहले आतंकियों के खिलाफ थोड़ी बहुत दिखावटी कार्रवाई कर बाद में उन्हें खुला छोड़ देने की पाकिस्तान की पुरानी रणनीति अब काम नहीं आने वाली है। लेकिन इसके साथ ही अभी यह देखना भी बाकी है कि, चीन के रुख में आया यह बदलाव कितना स्थायी है।

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