विशेष संवाददाता
फ़ाइनेंशियल एक्शन टास्क फ़ोर्स (FATF) की एक महत्वपूर्ण बैठक आज फ़्रांस की राजधानी पेरिस में शुरू हो गयी। 21 फरवरी तक चलने वाली इस बैठक में पाकिस्तान के मुस्तक़बिल को लेकर बड़ा फ़ैसला लिये जाने की संभावना है। यह फ़ैसला पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बनाए रखने, बाहर निकालने या फिर उसको ब्लैकलिस्ट करने से संबंधित होगा। इस समय करोड टके का सवाल यह है कि क्या चार देशों का साथ पाकिस्तान को बचा लेगा ?
उल्लेखनीय है कि ईरान और उत्तर कोरिया को फ़िलहाल एफ़एटीएफ़ ने कालीसूची में डाला हुआ है। इस बैठक को लेकर जहां पूरी दुनिया की नज़रें पाकिस्तान पर जमी हैं वहीं भारत की निगाहें सऊदी अरब पर लगी हुई है।
सऊदी अरब पर निगाह
पेरिस की इस अहम बैठक में पाकिस्तान को काली सूची से बचाने वाले चार देशों में सऊदी अरब भी एक है। तुर्की खुले तौर पर अपनी मंशा बता चुका है कि वह इसमें पाकिस्तान का साथ देगा। वहीं सऊदी अरब पहले भी इस मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ देता रहा है। वहीं मलेशिया और चीन भी पाकिस्तान का साथ दे रहे हैं। इन सभी देशों में सऊदी अरब को छोड़कर बाकी तीनों देशों ने पाकिस्तान का कश्मीर मसले पर भी साथ दिया है।
पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट कराना बड़ी चुनौती
बहरहाल, बीते कुछ वर्षों में जिस तेजी के साथ सऊदी अरब और भारत के संबंध मजबूत हुए हैं और दोनों ही देशों ने आर्थिक तरक्की की तरफ आगे बढ़ने की राहें खोली हैं उसमें सऊदी का पाकिस्तान का साथ देना भारत के गले नहीं उतरने वाला है। लेकिन सऊदी अरब की मजबूरी को भी भारत बखूबी जान रहा है। दरअसल, पाकिस्तान में सऊदी अरब का अरबों डॉलर का निवेश है। इसके अलावा अरबों डॉलर का कर्ज सऊदी अरब ने पाकिस्तान को दे रखा है। पाकिस्तान को कालीसूची में डाले जाने के बाद इस कर्ज और निवेश के वापस आने की उम्मीदें लगभग न के बराबर ही रह जाएंगी। ऐसे में सऊदी अरब खुद आर्थिक तौर पर कमजोर हो जाएगा। उसका कमजोर होना पूरे क्षेत्र पर असर डाल सकता है। इसके बावजूद भारत के लिए एफ़एटीएफ़ की बैठक और इसमें पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट करवाना एक बड़ी चुनौती है।
क्या है एफ़एटीएफ़ की प्रक्रिया
रॉयटर के मुताबिक एफ़एटीएफ़ की काली सूची से बचने के लिए पाकिस्तान को तीन देशों के वोट की दरकार होगी। ऐसे में यदि सऊदी अरब पाकिस्तान का पक्ष नहीं भी लेता है तब भी पाकिस्तान को कालीसूची से बचाने के लिए मलेशिया, तुर्की और चीन तो है हीं। पाकिस्तान फिलहाल इस समय एफ़एटीएफ़ की ग्रे लिस्ट में है। यदि पाकिस्तान को काली सूची में डाल दिया जाता है तो उसपर कई तरह के वित्तीय प्रतिबंध लग जाएंगे जो उसकी बदहाल होती वित्तीय अर्थव्यवस्था को और भी बदतर कर देंगे।
पाकिस्तान का दावा
खुद को काली सूची में शामिल होने से बचाने के लिए पाकिस्तान लगातार ये दावा करता रहा है कि उसने एफ़एटीएफ़ के मापदंडों पर काम करते हुए कई आतंकी संगठनों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की है और कई आतंकियों को गिरफ्तार कर उनपर मुकदमा चलाया है।
आतंकी हाफ़िज़ सईद को इन्हीं मापदंडों के तहत गिरफ्तार कर मुकदमा चलाया गया और अब उसको 11 वर्षों की सज़ा सुनाई जा चुकी है। लेकिन वह भूल चुका है कि मुम्बई हमले के मास्टर माइंड हाफिज की गिरफ्तारी को लेकर वो पहले भी ढोंग कर चुका है। इस मामले मे भी कुछ ऐसा ही है। जैसे ही पाकिस्तान बचा, हाफिज हाई कोर्ट से बरी हो जाएगा।कूछ लूप होल पहले से उसके केस में रख छोडे गए हैं ।
बहरहाल भारत के लिए ‘देखो और प्रतीक्षा करो’ वाली स्थिति है। वैसे अपनी ओर से तो वह पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट कराने के लिए कोई कसर नहीं उठा रखेगा।