पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी का बयान कहीं कुछ दूसरा इशारा है या उनका धैर्य जवाब दे रहा है।

मंगलवार को लोकसभा में अपनी ही सरकार के भीतर संवादहीनता की स्थिति होने का आरोप लगाया और कहा कि ऐसी स्थिति को देखकर उनका दिल रोता है।

सदन में वायुयान संशोधन विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए रूडी ने कहा कि पायलटों को विदेश में प्रशिक्षण देने के लिए 50 करोड़ डॉलर धनराशि सालाना खर्च की जा रही है। उन्होंने कहा कि देश में केवल 250 पायलटों के प्रशिक्षण की व्यवस्था है जबकि देश को सालाना एक हजार पायलटों की जरूरत है।

30 साल बहुत होते हैं

रूडी ने कहा, ‘दिक्कत यह है कि विमानन सेक्टर की दिक्कतों को कहीं भी कोई जानना नहीं चाहता… कोई जानना तो चाहे, बात तो करे …दिल रोता है। प्रधानमंत्री जिस लगन के साथ अपने आप को देश के लिए खपाना चाहते हैं, हम भी वैसे ही खुद को देश के लिए खपाने को तैयार हैं। उन्होंने कहा, ‘हमें संसद का 30 साल का अनुभव है …अब तो रिटायर होने का वक्त है। राजनीतिक करियर के अपने अंतिम पांच साल में हम हैं। 30 साल बहुत होते हैं।

रूडी ने कहा कि वह ये सब इसलिए कह रहे हैं कि शायद कोई सुने। संवाद नहीं है। इससे पूर्व उन्होंने पटना हवाई अड्डे के संबंध में कहा कि वहां ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे की जरुरत थी और वह एक बड़ा विमानन हब बन सकता था लेकिन वहां 4700 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं जिससे एक फीसदी संचालन लाभ मिलेगा जो कि धन की बर्बादी है।

उन्होंने कहा कि वह इस मामले में सरकार से पिछले छह महीने से बात करना चाह रहे हैं। सरकार में विमर्श का अभाव है, अनुभवी लोगों की अनदेखी की जा रही है। स्मरणीय है कि रूडी को मोदी के पहले मंत्रिमंडल से बड़े अपमानजनक तरीके से हटाया गया था। उन्हें पटना हवाई अड्डे से उल्टे पांव दिल्ली बुलाकर शाह ने इस्तीफा देने को कहा गया था जबकि पत्नी के साथ लैंड ही हुए थे । उन्हें पत्नी को घर पहुंचाने भी नहीं दिया गया। वह दूसरे विमान से लौटे और इस्तीफा दे दिया। पिछले साल जब छपरा लोकसभा चुनाव में रूडी खड़े थे और चुनाव फंसा देख शाह ने चुनावी सभा में कहा था कि इन्हें जिताएं, हम कैबिनेट में शामिल करेंगे। लेकिन मोदी ने मंत्रिपरिषद बनाई तो रूडी का नाम गायब था।

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