अनिता चौधरी
राजनीतिक संपादक

ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) के चुनाव मंगलवार को होने जा रहे हैं। यहाँ 150 सीटें हैं, जिन पर जीत यह तय करेगी की नगर निगम में मेयर किस पार्टी का बनेगा। पिछले चुनाव में 99 सीटें तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) को मिली थी। 44 सीटों पर औवेसी की पार्टी एआईएमआईएम ने जीत दर्ज की थी। भाजपा को 4 सीटों से संतोष करना पड़ा था। जबकि कांग्रेस को दो सीट मिली थी। इस बार बार चुनावी माहौल और समीकरण दोनों अलग हैं।

नगर निगम के चुनाव अक्सर स्थानीय मुद्दों पर लड़े जाते हैं। बिजली, पानी, सड़क, कूड़ा यही मुद्दे होते हैं। राज्य के बड़े नेता चुनाव प्रचार में चले जाएँ तो ये ही बड़ी बात होती है। क्षेत्रीय पार्टी का अध्यक्ष प्रचार कर ले तो बात फिर भी समझ आती है, लेकिन राष्ट्रीय स्तर के नेता अगर प्रचार के लिए मैदान में उतरें, तो लगता है कि पार्टी का ‘बहुत कुछ’ दांव पर है।

ऐसा ही हाल कुछ भारतीय जनता पार्टी का है। स्थानीय चुनावों ने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं, पार्टी प्रमुखों, केंद्रीय मंत्रियों और वर्तमान और पूर्व मुख्यमंत्रियों सहित कई नेताओं को चुनाव प्रचार में देखा गया। तमाम नेता नगरपालिका चुनाव में पहली बार प्रचार करने आये। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने रविवार को भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा, “ऐसा लगता है जैसे हम एक प्रधानमंत्री का चुनाव कर रहे हैं… केवल ट्रम्प को चुनाव प्रचार के लिए छोड़ दिया गया है”।

भाजपा के लिए यह चुनाव इतना अहम क्यों

सत्तारूढ़ टीआरएस ने 2018 में विधानसभा चुनावों में जीत की झड़ी लगा दी थी, लेकिन 2019 के संसदीय चुनावों में लोकसभा की चार सीटें भाजपा के हाथों गंवा दीं। 10 नवंबर को, बीजेपी ने दुब्बाका सीट पर चुनाव लड़ा, जिसे टीआरएस ने 2018 में भारी अंतर से जीता था। हालिया सफलता के साथ-साथ कांग्रेस और टीडीपी की राजनीतिक गिरावट ने भाजपा को एक शुरुआत दी है।

टीआरएस को शहर में हाल ही में बाढ़ के लिए आलोचना का भी सामना करना पड़ा है। जीएचएमसी के चुनाव जनवरी में होने थे, लेकिन टीआरएस ने अपने प्रतिद्वंद्वियों को रोकने की उम्मीद करते हुए डबका में हार के बाद इसे आगे बढ़ाया है। जीएचएमसी की सीमाओं में राज्य के कुल निर्वाचन क्षेत्रों के पांचवें भाग के साथ-साथ चार लोकसभा सीटों के साथ 24 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। यह जीएचएमसी को और भी महत्वपूर्ण बनाता है, खासकर 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए काफी अहम् है ।

भाजपा निकाय चुनाव राज्य की सत्ता तक पहुंचने का जरिया

भाजपा को लगता है निकाय चुनावों के जरिए राज्य की सत्ता हासिल की जा सकती है। पिछले कई दफा ऐसा कर चुकी है , साल 2018 के हरियाणा निकाय चुनाव में भाजपा ने पूरा दम लगाकर करनाल, पानीपत, यमुनानगर, रोहतक और हिसार के पांच नगर निगमों पर कब्जा कर लिया। इससे राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के चुनाव में सत्ता गंवाने वाली पार्टी के कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ गया। भाजपा को इसका फायदा वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव में मिला।

छोटे-छोटे अवसरों को भी बड़े आयोजनों में तब्दील करने की कला

दरअसल भाजपा की सफलता का मंत्र सांगठनिक विस्तार है। साल 2014 के बाद से इस विस्तार को बहुत ज्यादा तवज्जो मिल रही है। पार्टी अब जमीनी स्तर पर अपनी मजबूती के लिए छोटे-छोटे अवसरों को भी बड़े आयोजनों में तब्दील कर देती है। छोटे आयोजनों में बड़े नेताओं के आने से स्थानीय स्तर के कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ता है। एक तरफ शीर्ष नेताओं को छोटी-छोटी जगहों पर भी पार्टी की स्थिति की सही जानकारी होती है तो दूसरी तरफ कार्यकर्ता भी बड़े नेताओं के सामने अपनी समस्या रख पाने में सक्षम होते हैं। इस वजह से नीचे से ऊपर तक के नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच गैप नहीं रहता।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here