आजादी की लड़ाई के दौरान घटी चौरी चौरा की ऐतिहासिक घटना के शताब्दी समारोह की शुरुआत गुरुवार को हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर एक विशेष डाक टिकट भी जारी किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने इस संबोधन में कहा कि चौरी चौरा में जो हुआ वो सिर्फ एक थाने में आग लगाने की घटना नहीं थी, इससे एक बड़ा संदेश अंग्रेजी हुकूमत को दिया गया। पीएम मोदी ने कहा कि इस साल देश की आजादी के 75 साल के वर्ष की भी शुरुआत होगी। पीएम मोदी ने कहा कि इस घटना को इतिहास में सही जगह नहीं दी गई, लेकिन हमें उन शहीदों को सलाम करना चाहिए।
बजट और किसानों के मसले पर बोले पीएम मोदी पीएम मोदी ने कहा कि पहले बजट को वोटबैंक का बहीखाता बनाया गया था। लेकिन हमारी सरकार ने किसी पर भी कोई नया टैक्स नहीं लगाया है। किसानों को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि देश की तरक्की में किसानों ने अहम योगदान किया है। हमारी सरकार ने मंडियों को मजबूत करने के लिए कदम उठाए हैं। साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर फंड को बढ़ाया गया है। पीएम मोदी ने कहा कि देश की सामूहिक शक्ति आत्मनिर्भर भारत का आधार है। कोरोना काल में भारत दुनिया को वैक्सीन दे रहा है और आगे बढ़कर मदद कर रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि हाल ही में जो बजट पेश किया गया, ये देश की रफ्तार को बढ़ाने वाला है। बजट से पहले दिग्गज बोल रहे थे कि टैक्स बढ़ाना ही होगा, लेकिन सरकार ने किसी पर भी बोझ नहीं डाला।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि अंग्रेजी हुकूमत सैकड़ों स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी देने पर तुली थी, लेकिन मालवीय जी, बाबा राघवदास की कोशिशों से सैकड़ों लोगों को बचा लिया गया। पीएम मोदी ने कहा कि भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने युवा लेखकों को स्वतंत्रता सेनानियों पर किताब लिखने के लिए आमंत्रित किया है।
उत्तर प्रदेश सरकार इस कार्यक्रम को काफी जोर-शोर से मना रही है। आज शुरू हो रहे इस समारोह को अगले एक साल तक मनाया जाएगा। इस दौरान यूपी के सभी जिलों में कार्यक्रम का आयोजन किया जाना है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया और कहा कि गोरखपुर समेत पूरे प्रदेश में इस जश्न को पूरे साल तक मनाया जाएगा।
बता दें कि साल 1922 में चौरी-चौरा में स्वतंत्रता सेनानियों ने पुलिस चौकी में आग लगा दी थी। इसी घटना के बाद महात्मा गांधी ने अपने असहयोग आंदोलन को खत्म कर दिया था.