एनजीओ इंडिक कलेक्टिव ट्रस्ट ने सुप्रीम कोर्ट में संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत पश्चिम बंगाल में इमरजेंसी घोषित किए जाने की याचिका दायर की

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद से लगातार हो रही है हिंसा का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सामाजिक संस्था इंडिक कलेक्टिव ने वकील जे साईं दीपक और सुविदत्त के जरिए याचिका दाखिल की है। इस याचिका में पश्चिम बंगाल की स्थिति को नियंत्रण से बाहर बताया गया है। कहा गया है कि सत्ताधारी पार्टी के नेता ही हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं। वहां लोगों की जान जा रही है। महिलाओं का यौन उत्पीड़न हो रहा है। यह संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए बिल्कुल उचित मामला है।

इस याचिका में यह भी कहा गया है कि पश्चिम बंगाल में तुरंत केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को नियुक्त किया जाए और उन्हें स्थिति पर नियंत्रण के लिए कहा जाए। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल का गठन हो जो कि हिंसा में राजनीतिक नेताओं की भूमिका की जांच करे। हिंसा कर रहे लोगों की तुरंत गिरफ्तारी हो और उनके ऊपर विशेष अदालत में मुकदमा चलाया जाए।

उक्त याचिका इन खबरों के बाद दायर की गयी कि 2 मई को विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने के बाद तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) कार्यकर्ताओं ने भाजपा कार्यकर्ताओं पर राज्य में बड़े पैमाने पर हमले किये हैं।

याचिका में यह भी कहा गया है कि कई खबरों से इस बात के संकेत मिलते हैं कि राज्य में चुनाव में टीएमसी के विरोधी दलों के कार्यकर्ताओं विरुद्ध जमकर हिंसा की गयी है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि राज्य सरकार ने न तो पुलिस को कर्तव्य अवहेलना से रोका और न कानून व्यवस्था कायम रखने के लिए कोई निर्देश दिये।

बता दें, अभी यह दोनों याचिकाएं सिर्फ दाखिल हुई हैं। इन पर सुनवाई की तारीख तय नहीं हुई है। लेकिन मामले से जुड़े वकील कह रहे हैं कि इस मामले में लोगों की जीवन के अधिकार की रक्षा करने के लिए तुरंत दखल की ज़रूरत है। इसलिए वह आज ही सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस से आग्रह करेंगे।

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