पदम पति शर्मा
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हाथरस की किशोरी पीड़िता के साथ दो राय नहीं कि नृशंसता की गयी। इसमें भी संदेह नहीं कि पीड़िता की मौत के बाद हाथरस की पुलिस और प्रशासन का रवैया भी कम लज्जास्पद नहीं रहा। परिजनों की मर्जी के विरूद्ध देर रात ढाई बजे पीड़िता का अंतिम संस्कार पुलिस-प्रशासन की संवेदनहीनता की कहानी भी चीख चीख कर सुना रहा है। ऐसा कदापि नहीं होना चाहिए था। सुबह भी उसकी अंत्येष्टि की जा सकती थी। सच तो यह कि इस पूरे घटना क्रम मे हाथरस के पुलिस -प्रशासन का अमानवीय चेहरा सामने आ गया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसका संज्ञान लेते हुए एसपी, डीएसपी सहित पांच को निलंबित करने का स्तुल्य कार्य ही नहीं किया बल्कि साथ मे यह घोषणा भी करते हुए कि आरोपियों के साथ पीड़िता के परिजनों का भी पालीग्राफ और नार्को टेस्ट होगा, सच को उजागर करने का भी नेक काम किया। यही नहीं सीएम ने आज उच्चस्तरीय बैठक बुला कर यह भी फैसला किया कि गृह सचिव और डीजीपी सहित समस्त उच्चाधिकारी घटनास्थल पर पहुँचे और आनन साधन मे वे हाथरस पहुंच भी गए। उधर परिजनों के टेस्ट को लेकर कांग्रेस का विरोध भी सामने आ गया जो स्वाभाविक था। सच सामने आने से उसकी पोल पट्टी जो खुलनी है। बताने की जरूरत नहीं कि चिता की राख पर वोट की बिसात बिछाने वाले विपक्षी दलों और विशेष रूप से कांग्रेस ने जिस तरह बदअमनी फैलाई वह वाकई आम जन को यह सोचने पर मजबूर करती है कि येन केन प्रकारेण सत्ता मिले, क्या यही अभीष्ट बन के रह गया है आज के लोकतंत्र में ? आप वायरल हो रहे आडियो मे सुन सकते हैं कि पीड़िता के भाई को कांग्रेस की ओर से प्रलोभन दिया जा रहा है कि 25 लाख में डील मत कर लेना । हम पचास लाख देगे।

कांग्रेस पार्टी और उसके शीर्ष नेत्र वर्ग ने जिस तरह पिछले दो तीन दिनो से नौटंकी की वह भी कम शर्मनाक और हास्यास्पद नहीं है । पीड़िता दलित थी न तो प्रियंका गांधी वाल्मीकि मंदिर भी पहुंच गयी। इस घटना को आठ वर्ष पूर्व निर्भया के साथ दिल्ली में हुए गैंगरेप से जोडने की कोशिश की जाने लगी। जबकि यहाँ मामला एकदम अलग है। राहुल हाथरस जाने की जिद में गिर भी गये और कहा कि पुलिस ने लाठी से पीटा। जबकि वह यह भूल गये कि उनको अब भी जेड सुरक्षा कवच मिला हुआ है और इस ढाल को कोई भी पार कर उन तक नहीं पहुंच सकता।

सत्ता प्राप्ति की अमिट भूख में कांग्रेस ने इस घटना को लेकर विरोध करने के पहले समुचित गृहकार्य नहीं किया। असल में विरोध के नाम पर विरोध के चक्कर मे उसके नेतागण यह भूल गये कि हाथरस की घटना आपसी रंजिश के चलते हुई है। गैंगरेप तो दूर की कौड़ी रेप तक नहीं हुआ है इस प्रकरण में। नेशन टुडे ने पीड़िता और उसकी माँ के बयान का इस घटना की पहली रिपोर्ट में उल्लेख करते हुए बताया था जिसमें दोनो ने यह कहा था कि अपराधी संदीप नाम का शख्स था और उसने ही पीड़िता का रस्सी से गला घोटा था और कुछ भी नहीं किया था। हम दोनो के वीडियो इस पोस्ट के साथ में दे रहे हैं ताकि सुधि पाठक सच को खुद देख और सुन सकें। नेशन टुडे ने अपनी पिछली पोस्ट में इस बात पर भी हैरत जतायी थी कि एक से बढ कर कैसे चार आरोपी हो गये और गैंगरेप कैसे ?

यह कोरी प्रशंसा नहीं बल्कि एक हकीकत है कि कल्याण सिंह के बाद योगी पहले मुख्यमंत्री है जिन्होने पिछले दो दशक के दौरान राजनीति की आड़ में प्रदेश लूटने वाले शातिर अपराधियों का एक सिरे से सफाया करने की ठान रखी है। अतीक, मुख्तार अंसारी और विजय मिश्र सहित तमाम ऐसे माफियाओ के साम्राज्य को छिन्न-भिन्न करने का जो काम चल रहा है, उसको देख कर विपक्षी पार्टियों की बोलती बंद हो चुकी है। सपा और बसपा के बल पर ही इन अपराधियों ने अकूत दौलत बनायी थी, हम यह भी याद रखें। हाथरस कांड एक मौके की तरह उन्हें मिला है। लेकिन पिछले तीन वर्षों से सर्वे मे लगातार देश के मुख्यमंत्रियो पहले स्थान पर बरकरार योगी को हटाना नामुमकिन है। देश में आम जन की जुबान पर जो दो नाम पूरे सम्मान के साथ लिये जाते हैं वे मोदी और योगी के ही हैं।

दुख तो चंद टीवी चैनलों की एकपक्षीय कवरेज से भी कम नहीं हुआ। वहशियाना हरकत और गैंगरेप का बारबार उल्लेख किस आधार पर एक लब्ध प्रतिष्ठ चैनल ने किया वह भी समझ से परे रहा। और तो और देश के जाने माने पत्रकार रजत शर्मा भी उसी बहाव में बह गये ! यह देख कर आश्चर्य हुआ । उनके टीवी चैनल पर ही आज की बात कार्यक्रम में पीड़िता और और उसकी माँ के वीडियो दिखाए गए थे। इसको भूल कर वह कैसे गैंगरेप की बात करने लगे?

खैर, हाई कोर्ट ने इस घटना पर स्वतः संज्ञान लेते हुए पीड़िता के परिजनों और सरकारी अमले को 12 अक्तूबर को पेश होने के लिए कहा है। इनके बयान के पहले नार्को टेस्ट यदि हो गया तो दून का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।