लखनऊ । विधान परिषद चुनावों के लिए सोमवार को नामांकन पत्रों की हुई खरीद संकेत दे रही है कि सियासी दलों में 12वीं सीट को लेकर दिलचस्प मुकाबला होना तय है। फिलहाल जो हालात हैं उससे तो साफ है कि सपा दो उम्मीदवार उतारेगी और बसपा व भाजपा में असंतोष का लाभ लेने की कोशिश करेगी। वहीं भारतीय जनता पार्टी सधे हुए कदमों के साथ मैदान में उतरने की तैयारी में है। सबसे ज्यादा चौंकाने वाला कदम बहुजन समाजपार्टी का रहा है जिसने दो नामांकन खरीद कर सबको चौंका दिया है।
विधान परिषद चुनावों के लिए सोमवार को 18 नामांकन खरीदे गए। भाजपा ने दस नामांकन खरीदे हैं। उसके विधायकों की संख्या सहयोगी दलों समेत 319 है। एक सीट पर जीत के लिए 33 विधायकों के मत चाहिएं लिहाजा भाजपा के लिए दस सीटें जीतना तय है। वहीं समाजवादी पार्टी 48 विधायकों के साथ एक सीट जीत सकती है। उसने अपने बचे 15 विधायकों के बलबूते दूसरा नामांकन पत्र खरीद लिया है। समाजवादी पार्टी का दावा करती रही है कि वह भाजपा और बसपा के असंतुष्टों को साथ लेगी, जैसा उसने राज्यसभा चुनावों में करने की कोशिश की थी लेकिन नामांकन खारिज होने के चलते चुनाव नहीं हुए।
इस बार सबसे चौंकाने वाला पैंतरा बसपा ने आजमाया है। बसपा ने सोमवार को दो नामांकन खरीदे हैं। विधायकों के गणित से हिसाब से बसपा कोई भी सीट जीतने की स्थिति में नहीं है। फिर भी उसने दो नामांकन खरीद कर संकेत दे दिया है कि वह भी दो-दो हाथ करने की कोशिश में है। देखना दिलचस्प होगा कि बसपा किसे प्रत्याशी बनाती है, क्या वह राज्यसभा चुनाव की तरह दलित सियासत को ढाल बनाती है या फिर अंदरखाने से भाजपा की मदद से अपना उम्मीदवार विधान परिषद में पहुंचाती है। सियासी जानकारों का मानना है कि राज्यसभा चुनावों की तरह इस बार भी बसपा और भाजपा में सपा को टक्कर देने के लिए सियासी जुगलबंदी दिखाई दे तो हैरत नहीं।