आज की सिद्धांतहीन राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं, भले ही चीत्कार करे बाला साहेब की आत्मा

व्योमकेश पांडिया

आज की सिद्धांतहीन राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं रह गया है। सचमुच बाला साहेब की आत्मा यह देख कर चीत्कार कर उठी होगी कि जिस पार्टी शिवसेना का जन्म उन्होने तुस्टीकरण की राजनीति के खिलाफ हिन्दुत्व की नींव पर खडा किया था वह आज उसी कांग्रेस के परिवार विशेष के चरणों में पडी हैं। चौंकने की जरूरत नहीं है।

कांग्रेस के नेतृ वर्ग के नाम पर परिवार विशेष को उसके अंदरूनी संकट से उबारने के लिए ऐसे दोस्त का सहारा मिला है, जो शायद स्वयं उसको भी हैरान कर रहा होगा। जिस हिन्दुत्व और भगवा के सहारे राजनीति में ऊंची पायदान पर पहुंची उद्धव ठाकरे की शिवसेना है सोनिया गांधी के परिवार की यह नई मित्र ।

पार्टी ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के जरिए कांग्रेस के असंतुष्टों पर जिस तरह से निशाना साधा है, वैसा तो शायद गांधी परिवार के कट्टर आलोचकों ने भी नहीं साधा होगा। महाराष्ट्र की मुख्य सत्ताधारी पार्टी शिवसेना ने ‘सामना’ में लिखे लेख में दावा किया है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की लीडरशिप खत्म करने के लिए साजिश रची गई है। कांग्रेस में फूटे लेटर बम का कनेक्शन शिवसेना ने ‘पानीपत की लड़ाई’ से भी जोड़ दिया है।

शिवसेना ने गुरुवार को कांग्रेस के गांधी परिवार के लिए बैटिंग करते हुए आरोप लगाया है कि पार्टी के 23 वरिष्ठ नेताओं की ओर से सोनिया गांधी को नेतृत्व में बदलाव और पार्टी के संगठनात्मक ढांचे को चुस्त करने का सुझाव, असल में ‘राहुल गांधी की लीडरशिप को खत्म करने की साजिश है।’ शिवसेना ने अपने मुखपत्र के जरिए सोनिया को चिट्ठी लिखने वाले कांग्रेस के जिन धुरंधर नेताओं के नाम का जिक्र किया है, उनमें गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, मुकुल वासनिक जैसे नेता शामिल हैं। ‘सामना’ के जरिए खत लिखने वाले कांग्रेसी नेताओं पर यह कहकर हमला किया गया है कि ये नेता तब कहां थे जब भारतीय जनता पार्टी कथित रूप से राहुल गांधी पर ‘अमर्यादित हमले’ कर रही थी?

शिवसेना ने इसबार ‘सामना’ के जरिए राहुल गांधी के समर्थन में जिस तरह से आंसू बहाए हैं, वह एक तरह से भारतीय राजनीति के इतिहास का एक नया अध्याय है। मसलन, शिवसेना ने राहुल गांधी से सहानुभूति जताते हुए लिखा है, ‘जब अंदर के लोग राहुल गांधी के नेतृत्व को खत्म करने के राष्ट्रीय षड़यंत्र में शामिल हैं तो पार्टी के लिए ‘पानीपत’ (हार) निश्चित है……..इन बुजुर्ग नेताओं ने राहुल गांधी को अंदर से नुकसान पहुंचाया है, यह ऐसा आघात है, जो बीजेपी ने भी उनपर नहीं किया है….’ वैसे राष्ट्रीय साजिश की ओर इशारा करके लगता है शिवसेना ने भी एक तरह से कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं पर ‘भाजपा से कथित साठगांठ’ का आरोप लगा दिया है, जिन आरोपों के चलते पहले ही कांग्रेस में भूचाल आया हुआ है।

यह राजनीति का नया कोरोना वायरस है- शिवसेना

शिवसेना ने आरोप लगाया है कि जिन नेताओं ने कांग्रेस के संगठन में बदलाव और ‘सक्रिय, पूरे समय के लिए और दिखने वाले अध्यक्ष’ की मांग की है, वे वही लोग हैं, जो गांधी-नेहरू परिवार की बदलौत मुख्यमंत्री (खत लिखने वाले कई नेता) बन चुके हैं। ‘सामना’ में कहा गया है,’सभी राज्यों में (कांग्रेस के) बड़े नेता अपने पद के लिए हैरान हैं, पार्टी के लिए नहीं। अगर उनके पास रास्ता नहीं है तो वे बीजेपी में चले जाएं। यही एकमात्र सक्रियता है, जो वो दिखाते हैं। राहुल और सोनिया गांधी इसके लिए क्या कर सकते हैं? यह एक नया राजनीतिक कोरोना वायरस है।’

नेतृत्व पर सवाल, सहयोगी दल का साथ

कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे खत पर हस्ताक्षर करने वालों में ऊपर के नेताओं के नाम के अलावा शशि थरूर, मनीष तिवारी, आनंद शर्मा, पीजे कुरियन, मिलिंद देवड़ा,विवेक तनखा, जितिन प्रसाद और अजय सिंह जैसे नेता भी शामिल हैं। इसके अलावा कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्रियों भूपिंदर सिंह हुड्डा, राजेंद्र कौर भट्टल एम वीरप्पा मोइली और पृथ्वीराज चव्हाण भी शामिल हैं। इनके अलावा राज बब्बर, अरविंदर सिंह लवली, कौल सिंह ठाकुर अपने-अपने राज्यों में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। इनके साथ ही उस लिस्ट में बिहार के मौजूदा कैंपेन चीफ अखिलेश सिंह, हरियाणा विधानसभा के पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा, दिल्ली विधानसभा के पूर्व स्पीकर योगानंद शास्त्री और पूर्व सांसद और दिल्ली के पूर्व सीएम शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित का नाम भी शामिल है।

बहरहाल देखना है कि शिवसेना का गांधी परिवार के प्रति यह उमडा अप्रत्याशित प्रेम अघाडी गठबंधन सरकार बचाने का एक जरिया भर है या है यह दूरगामी राजनीति का संकेत? जो शिवसैनिक हमेशा जिस मुस्लिम परस्त कही जाने वाली काग्रेस पार्टी के खिलाफ पंचायत स्तर तक हिन्दुत्व के नारे के साथ लडता रहा, क्या उसे अब उसी के साथ गलबहियाँ करना होगा और उसका अंजाम क्या होगा? आने वाला समय इसका जवाब देगा। फिलहाल तो यह एक यक्ष प्रश्न है।