इस्तांबुल। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद तुर्की और पाकिस्तान में गाढी छनने लगी है । दोनो मिल कर भारत को विखंडित करने की साजिश रच रहे हैं।
पाकिस्तान जहां भारत में गड़बड़ियां फैलाकर इसके टुकड़े करना चाहता है. वहीं तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन सऊदी अरब को किनारे कर खुद मुस्लिम जगत के खलीफा बनना चाहते हैं। दोनों ने इन चाहतों को पूरा करने के लिए आपस में हाथ मिला लिए हैं। भारत के खिलाफ नापाक मंसूबों को पूरा करने के लिए तुर्की ने अपनी यूनिवर्सिटीज और जिहाद फैलाने वाले एनजीओ को हथियार बनाया है। इन दोनों हथियारों की मदद से वह भारत में तुर्की समर्थक मुस्लिम आबादी खड़ी करने की कोशिश में लगा है।
खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान की कुख्यात आईएसआई पिछले एक साल में राष्ट्रपति एर्दोगन समेत टर्की के कई प्रभावशाली सांसदों, वहां के लेखकों और बड़े संस्थानों के अफसरों को साध चुकी है। इसके लिए तुर्की में तैनात पाकिस्तानी राजदूत साइरस सज्जाद काजी काफी वक्त से वहां पर सक्रिय हैं। साइरस को अपने काम में इस्तांबुल यूनिवर्सिटी में उर्दू विभाग के एचओडी प्रोफेसर हलील टोकेर का खूब साथ मिल रहा है। तुर्की के मूल निवासी हलील टोकेर को पाकिस्तान के हितों की आवाज उठाने वाला माना जाता है और पाकिस्तान उन्हें सितारा ए इम्तियाज सम्मान से सम्मानित कर चुका है।
इसके साथ ही पीओके निवासी और World Kashmir Forum नाम का संगठन चलाने वाला गुलाम नबी फई भी तुर्की में भारत के खिलाफ जहर फैलाने के काम में लगा है। यह तिकड़ी मिलकर पिछले एक साल में जम्मू कश्मीर पर 30 से ज्यादा कार्यक्रम तुर्की की विभिन्न यूनिवर्सिटी में करवा चुकी है। पाकिस्तान की आईएसआई तुर्की में इन कार्यक्रमों के लिए खुली फंडिंग कर रही हैं। इन कार्यक्रमों में टर्की में पढ़ रहे भारतीय मुस्लिम छात्रों पर खासा फोकस किया गया है। आईएसआई ने एर्दोगन की जस्टिस वर्कर्स पार्टी के साथ ही विपक्षी Islamist Saadet पार्टी के नेताओं से भी इस्लाम के नाम पर अच्छे संबंध बना लिए हैं।
एजेंसियों के मुताबिक मुस्लिम उम्मा का खलीफा बनाने की चाहत में एर्दोगन पूरी दुनिया में तेजी से अपने प्रभाव का विस्तार कर रहे हैं। दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी रखने वाला भारत उनके खास निशाने पर है। वे भारतीय मुसलमानों को देश से काटकर तुर्की समर्थक बनाने के लिए सुनियोजित तरीके से काम कर रहे हैं। उनके बेटे बिलाल एर्दोगन ने इस रणनीति की पूरी कमान अपने हाथ में ले रखी है। रणनीति के मुताबिक तुर्की ने अपनी यूनिवर्सिटीज और मानवीय कार्यों के नाम पर बने सैकड़ों एनजीओ को हथियार बनाया है। तुर्की में इस्तांबुल यूनिवर्सिटी, इस्तांबुल सबाहात्तिन जैम यूनिवर्सिटी, इब्न हलदुन यूनिवर्सिटी, अनाकार यिल्दिरिम बेयाजित यूनिवर्सिटी, एर्जुरुम डिप्लोमेसी अकादेमिसि, फतिह सुल्तान मेहमत वकीफ यूनिवर्सिटी हैं। जिनमें पढ़ने के लिए भारतीय छात्रों को स्कॉलरशिप का लालच देकर अपने यहां बुलाया जाता है।
पढ़ाई के बहाने मुस्लिम छात्रों को देश के खिलाफ भड़काने की रणनीति के तहत छात्रों के एडमिशन लेते ही उन्हें टर्की के UDEF का मेंबर बना दिया जाता है। यह संगठन सभी देशों के लिए एक-एक प्रतिनिधि नियुक्त करता है. जो अपने- अपने देशों में प्रचार कर अधिक से अधिक मुस्लिम छात्रों को तुर्की में पढ़ने के लिए प्रेरित करता है। संगठन की ओर से फिलहाल नौशाद एमके को भारतीय शाखा का अध्यक्ष बनाया गया है। पढ़ाई के दौरान भारतीय छात्रों को Indian Student’s Circle (ISC) से भी जोड़ा जाता है। ISC की ओर से साल भर भारत विरोधी कार्यक्रमों का आयोजन कर भारतीय मुस्लिम छात्रों में देश विरोधी भावना भरी जाती है। यह संगठन बिलाल एर्दोगन के नेतृत्व वाले YTB नामक संगठन के नियंत्रण में काम करता है। जब ये छात्र पास आउट हो जाते हैं तो उन्हें तुर्की सरकार की एक अन्य शाखा Turkish International Association of Graduates Uluslararasi Mezunlar Dernegi or TUMED से जोड़ दिया जाता है। यह शाखा तुर्की से पढ़कर गए सभी भारतीय छात्रों का नाम, पता, फोन नंबर, ईमेल समेत अन्य रिकॉर्ड रखती है और साल भर इन भूतपूर्व छात्रों से संपर्क रख कर उन्हें भारत के खिलाफ भड़काती रहती है। इन पूर्व छात्रों की सूची भारत में तुर्की के दूतावास में भी उपलब्ध रहती है। जो ब्रेनवाश हो चुके इन छात्रों से नियमित संवाद बनाए रखकर उन्हें इस्लाम को फैलाने के लिए प्रेरित करता है।
एनजीओ के जरिए मुस्लिम आबादी को जोड़ने की साजिश: तुर्की के दूसरे बड़े हथियार एनजीओ हैं. इनमें सबसे बड़े संगठन Union of NGOs of Islamic World (UNIW) और TUGVA हैं। ये दोनों संगठन तुर्की की सरकार के सीधे नियंत्रण में काम कर रहे हैं। UNIW से दुनिया के 66 देशों के 354 मुस्लिम एनजीओ जुड़े हुए हैं। तुर्की सरकार हर साल इन्हें करोड़ो रुपये ग्रांट जारी करती है। पैसे देने के बदले इन सदस्य देशों को कार्यक्रम जारी किए जाते हैं। साथ ही उन्हें इस्लाम खतरे में होने का नारा देकर भड़काया जाता है। भारत के कई सारे इस्लामिक संगठन UNIW से जुड़े हुए हैं और उसकी रणनीतियों को पूरा करने में अहम रोल अदा कर रहे हैं। इनमें जमात ए इस्लामिक ऑर्गेनाइजेशन की स्टूडेंट विंग Student Islamic Organisation (SIO) भी शामिल है।
सुरक्षा विशेषज्ञों की भारत को चेतावनी कि वह तुर्की की रणनीति को हल्के में न लें। वह पाकिस्तान की तुलना में आर्थिक रूप से ज्यादा मजबूत है। ऐसे में वह देश को ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि उसे अपनी बड़ी आबादी को कट्टर होने से बचाना है तो वह इन संगठनों पर नजर रखे और उनके देश में घुसने के तमाम रास्ते बंद कर दे।