अमेरिका एक और वियतनाम का इतिहास दोहराने की ओर !

लगता है कि अमेरिका एक और वियतनाम दोहराने की ओर है। जैसे वियतनाम मे हार कर उसे वापसी करनी पडी थी, वही स्थिति उसकी अफगानिस्तान मे भी हो गयी है।

“अमेरिकी फौजों के अफ़ग़ानिस्तान से हटते ही तालिबान फिर से वहां की सत्ता पर कब्जा कर लेगा।”

यह दावा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने करते हुए अपना इरादा जता दिया है। उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है और ऐसा होकर रहेगा, लेकिन आखिर अमेरिका कब तक किसी देश की मदद करता रहेगा। हर देश को आत्मनिर्भर होना चाहिए और अपनी समस्याएं खुद सुलझानी चाहिए। हम अगले बीस सालों तक वहां नहीं रह सकते।

अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना की इतने लंबे समय तक मौजूदगी की निंदा करते हुए ट्रंप ने कहा कि हमारी फौज को बहुत पहले ही वहां से हट जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि आप किसी का हाथ पकड़कर आखिर कब तक चल सकते हैं। आखिरकार हमें अपना देश भी तो चलाना है, इसलिए हमारी स्थिति को समझना चाहिए।

‘क्या अफगानिस्तान सरकार इस संकट से खुद निबटने में सक्षम है’, ट्रंप ने कहा कि इस संबंध में वह कुछ नहीं बता सकते। उन्होंने कहा, ‘यह तो बाद में पता चलेगा, मुझे उम्मीद है कि वो कामयाब होंगे, लेकिन इस बारे में मुझे पता नहीं’।

गौरतलब है कि अमेरिका और तालिबान ने पिछले हफ्ते शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए थे जिसके तहत अमेरिका अगले 14 महीनों में अफगानिस्तान से अपनी सेना पूरी तरह हटा लेगा। लेकिन इस समझौते के बाद अफगानिस्तान में तालिबानी हमले लगातार जारी हैं और अंदरूनी हालात बदतर हैं।

समाचार एजेंसियों का दावा है कि अमेरिकी सरकार के पास खुफिया जानकारी है कि तालिबान किसी भी हालत में समझौते की शर्तें नहीं मानेगा और इसका सम्मान नहीं करेगा। उधर तालिबान के एक नेता का कहना है कि जब अमेरिका ने तालिबान की अहमियत को समझा तो अफगान सरकार को भी तालिबान को गंभीरता से लेना चाहिए और मिलकर देश में शांति बनाए रखने की कोशिश करनी चाहिए।

5 हज़ार तालिबानी कैदियों की रिहाई के आदेश

दूसरी तरफ अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने तालिबानी कैदियों की रिहाई के आदेश दे दिए हैं। आज मंगलवार को इन कैदियों को रिहा कर दिया जाएगा। अमेरिका के साथ हुए समझौते में तालिबान ने मांग की थी कि उसके 5000 कैदियों को रिहा किया जाए उसके बाद ही अफगानिस्तान सरकार और तालिबान के बीच 10 मार्च से होने वाली बातचीत हो पाएगी। इस समझौते की शर्तों के तहत ही अफगानी राष्ट्रपति ने कैदियों की रिहाई के आदेश दिए।

अशरफ गनी ने दूसरी बार अफगानिस्तान के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद उम्मीद जताई कि तालिबान अब शांति का रास्ता अपनाएगा और तालिबानी कैदियों की रिहाई के बाद हिंसा का रास्ता छोड़ देगा। गनी ने कहा कि मंगलवार को होने वाली बातचीत से पहले इन कैदियों की रिहाई के आदेश जारी कर दिए जाएंगे। अभी तक गनी इन कैदियों की रिहाई के खिलाफ थे और तालिबान की यह मांग सख्ती से ठुकराते रहे थे, लेकिन अमेरिका के साथ हुए समझौते के बाद और दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद उनके रुख में बदलाव आया है और अब अफगानिस्तान में शांति बहाली के लिए राष्ट्रपति ने तालिबान के साथ रिश्ते सुधारने की पहल शुरु कर दी है।

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