वाराणसी। बीएचयू अब छात्र छात्राओं को “भूत विद्या कोर्स” कराने की तैयारी में है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान आयुर्वेद संकाय के मेडिशनल केमिस्ट्री विभाग में अब भूतों की पढ़ाई करवाई जाएगी। भूतों की पढ़ाई के लिए जनवरी से एडमिशन शुरू होगा। हर साल में दो बैच में इसकी पढ़ाई होगी जिसमें दस दस के बैच में छात्र-छात्राएं पढ़ेंगे। इस कोर्स के लिए 50 हजार रुपये फीस रखी गई है। इसमें एडमिशन के लिए जिन छात्र-छात्राओं के पास मेडिकल ग्रैजुएट ऑफ एनी स्ट्रीम इंक्लूडिंग एमबीबीएस साथ में बीएससी नर्सिंग की डिग्री होगी उन्हीं छात्र छात्राओं को इस कोर्स के लिए एडमिशन दिया जाएगा।

छह महीने के सर्टिफिकेट कोर्स में होगी भूत विद्या की पढ़ाई

बता दें, भूत विद्या एक मनोचिकित्सा है और छह महीने के सर्टिफिकेट कोर्स में बीएचयू के आयुर्वेद संकाय में अब भूत विद्या यानि साइंस आफ पैराकनॉर्मल की पढ़ाई होगी। यहां बाकायदा छह महीने का सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया जा रहा है। इसमें मानसिक रोगों, इलाज और मनोचिकित्सा के बारे में बताया जाएगा, जिसे कई लोग भूत की वजह से होना मानते हैं।

जनवरी से शुरू होगा पहला बैच

जानकारी के मुताबिक विश्वविद्यालय में आयुर्वेद संकाय द्वारा संचालित पहले बैच की कक्षा जनवरी से शुरू होगी। ‘भूत’ के कारण होने वाले मानसिक विकारों और बीमारियों का उपचार बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस) और बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड बैचलर ऑफ सर्जरी (एमबीबीएस) डिग्री धारकों को सिखाया जाएगा।

आयुवेर्द संकाय की डीन यामिनी भूषण त्रिपाठी ने बताया है कि, “ब्रांच के बारे में डॉक्टरों को औपचारिक शिक्षा देने के लिए आयुर्वेद संकाय में भूत विद्या की एक अलग इकाई बनाई गई है।” उन्होंने बताया कि, “यह भूत-संबंधी बीमारियों और मानसिक विकारों के इलाज के आयुर्वेदिक उपचार से संबंधित है।”

उन्होंने बताया कि, बीएचयू में आयुर्वेद संकाय, भूत विद्या की एक अलग इकाई बनाने और विषय पर एक सर्टिफिकेट कोर्स डिजाइन करने वाला देश का पहला संकाय है। भूत विद्या अष्टांग आयुर्वेद की आठ बुनियादी शाखाओं में से एक है। यह मुख्य रूप से मानसिक विकारों, अज्ञात कारणों और मन या मानसिक स्थितियों के रोगों से संबंधित है।

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