कभी दुश्मन देश पाकिस्तान में रहकर देश के लिए जान दांव पर लगाने वाले पूर्व रॉ एजेंट मनोज रंजन दीक्षित आज दर-दर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर हैं। मनोज कोरोना संक्रमित हैं लेकिन परिवार में कोई न होने के चलते उनकी देखभाल करने वाला भी कोई नहीं है। मनोज यूपी के लखनऊ में रहते हैं और उनकी हालत काफी गंभीर बताई जा रही है। बता दें कि साल 2013 में उनकी पत्नी की कैंसर से मौत हो चुकी है।
मिली जानकारी के मुतबिक पूर्व रॉ एजेंट को कोरोना संक्रमण होने के बाद से ही सांस लेने में दिक्कत हो रही है। फिलहाल लखनऊ के कुछ समाजसेवियों ने उन्हें एक प्राइवेट क्लीनिक में भर्ती कराया है। हालांकि अभी भी उन्हें किसी कोविड अस्पताल में भर्ती कराने के प्रयास जारी हैं। उधर कोविड कमांड सेंटर की प्रभारी ऋतु सुहास ने मनोज रंजन दीक्षित को कोविड अस्पताल में भर्ती कराने के लिए प्रयास शुरू किए हैं। उन्होंने बताया है कि प्राइवेट क्लीनिक के डॉक्टर ने आरटीपीसीआर रिपोर्ट हाथ से लिखी है इसलिए सत्यापन कराने के बाद पोर्टल पर आईडी बना कर इलाज की प्रक्रिया शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है।
पाकिस्तान में जासूसी के आरोप में हुए थे गिरफ्तार
पूर्व रॉ एजेंट मनोज रंजन दीक्षित (56) पाकिस्तान में भारत के लिए जासूसी के आरोप में 1992 में गिरफ्तार हुए थे। अफग़ानिस्तान बॉर्डर पर जासूसी के लिए पकड़े जाने पर उन्हें तमाम तरह की यातनाओं का सामना करना पड़ा था। जिसके बाद भी उन्होंने देश की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया। पाकिस्तान में जासूसी के दौरान उनका नाम यूनुस, युसूफ और इमरान था। 80 के दशक में रॉ में प्रशासनिक सेवाओं की तरह आम नागरिकों को उनकी योग्यता के आधार पर भर्ती किया जाता था। इस दौरान 1985 में मनोज रंजन दीक्षित को नजीबाबाद से भर्ती किया गया। दो बार सैन्य प्रशिक्षण देने के बाद उन्हें पाकिस्तान भेजा गया।
उन्होंने पाकिस्तान से बतौर कई अहम जानकारियाँ साझा की थीं। कश्मीरियों युवाओं को बहला-फुसलाकर अफगानिस्तान बॉर्डर पर ट्रेनिंग दिए जाने जैसी कई अहम जानकारियाँ दी। 1992 में उन्हें जासूसी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था। गिरफ्तारी के बाद उन्हें पाकिस्तान की कराची जेल में रखा गया था। जिसके बाद वहां की कोर्ट ने साल 2005 में उनको वाघा अटारी बॉर्डर पर रिहा किया गया था।
समाजसेवियों ने मदद के लिए बढ़ाए हाथ
बता दें कि पाकिस्तान से छूटने के बाद 2007 में उनकी शादी हो गई। कुछ ही सालों बाद उनकी पत्नी को कैंसर होने के चलते 2013 में उनकी पत्नी की मौत हो गई। इसके बाद से ही वह लखनऊ में रह रहे हैं। मनोज रंजन दीक्षित गोमतीनगर विस्तार में स्टोर कीपर का काम कर रहे थे।लॉकडाउन लगने के बाद से ही उनकी प्राइवेट नौकरी भी छूट गई। जिसके बाद से ही शहर के कई समाजसेवी लोगों ने एक-एक करके मदद के लिए हाथ बढ़ते गए। उनको घर भी आवंटित हुआ और कई बड़ी संस्थाओं और समाजसेवियों ने उनकी आर्थिक मदद भी दी।