नई दिल्ली (एजेंसी )। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सोमवार को अपने वादे का ‘अलग हटके’ बजट पेश करने वाली हैं। इस बजट से उम्मीद की जा रही है कि इसमें महामारी से पीड़ित आम आदमी को राहत दी जाएगी। साथ ही स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे और रक्षा पर अधिक खर्च के माध्यम से आर्थिक सुधार को आगे बढ़ाने पर अधिक ध्यान दिए जाने की भी उम्मीद की जा रही है। इसके अलावा किसानों को भी बजट में तोहफा मिल सकता है।
यह एक अंतरिम बजट समेत मोदी सरकार का नौवां बजट होने वाला है। यह बजट ऐसे समय पेश हो रहा है, जब देश कोविड-19 संकट से बाहर निकल रहा है। ऐसे में कोरोना से पार पाने के लिए भारत को वैक्सीन तो मिल गई है लेकिन क्या आर्थिक संकट से पार पाने के लिए भी कोई ‘वैक्सीन’ मिलेगी?
इस बार के बजट में व्यापक रूप से रोजगार सृजन और ग्रामीण विकास पर खर्च को बढ़ाने, विकास योजनाओं के लिए उदार आवंटन, औसत करदाताओं के हाथों में अधिक पैसा डालने और विदेशी कर को आकर्षित करने के लिए नियमों को आसान किए जाने की उम्मीद की जा रही है।
सीतारमण ने 2019 में अपने पहले बजट में चमड़े के पारंपरिक ब्रीफकेस को बदल दिया था और लाल कपड़े में लिपटे ‘बही-खाते के रूप में बजट दस्तावेजों को पेश किया था। उन्होंने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि अप्रैल से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष का बजट इस तरीके का होगा, जैसा पहले कभी नहीं देखा गया।
विशेषज्ञ चाहते हैं कि यह बजट कुछ इस तरीके का हो, जो भविष्य की राह दिखाए और दुनिया में सबसे तेजी से वृद्धि करती प्रमुख अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाए। सोच-समझकर तैयार किया गया बजट भरोसा बहाल करने में लंबी दौड़ का घोड़ा साबित होता है। इसे सितंबर 2019 में पेश मिनी बजट या 2020 में किस्तों में की गयी सुधार संबंधी घोषणाओं से स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है।
वित्त वर्ष 2021-22 के ऐतिहासिक बजट में सरकार के समक्ष अर्थव्यवस्था को तात्कालिक प्रोत्साहन देने के साथ ही लंबे भविष्य के लिए मजबूती प्रदान करने की चुनौती होगी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इन दोनों की बीच कितना संतुलन बना पाती हैं या नहीं यह देखना महत्वपूर्ण होगा। सरकार का कहना है कि महामारी का सबसे बुरा दौर समाप्त हो चुका है और अर्थव्यवस्था अब पटरी पर आ रही है।
संसद में पिछले सप्ताह पेश आर्थिक सवेर्क्षण में कहा गया है कि मौजूदा वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7.7 प्रतिशत की गिरावट रहेगी जबकि अगले वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था तेजी से वापसी करेगी और जीडीपी में 11 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है। यदि ऐसा होता है तब भी दो साल में जीडीपी में मात्र 2.4 प्रतिशत की वृद्धि होगी। मोदी सरकार निर्भिक फैसलों के लिए जानी जाती है। पिछले तीन महीने में अप्रत्यक्ष कर संग्रह बढ़ने के बावजूद मौजूदा वित्त वर्ष राजस्व संग्रह में गिरावट तय है।