वाराणसी। सोशल मीडिया की दुनिया में जाने कब क्या ट्रेंड कर जाए, यह कहा नहीं जा सकता है। इन दिनों बनारस के बुलेट वाले दारोगा जी ने एक बार फिर धमाल मचा रखा है। दरसल, बुलेट वाले दारोगा जी की वायरल एक तस्वीर को लोग खूब पसंद कर रहे हैं। तस्वीर में दारोगा जी पूरे फूल एक्शन मोड में एक राहगीर को लॉकडाउन तोड़ने पर हिदायत देते हुए कहते हैं ‘आखिरी बार समझा रहा हूँ, समझ जाओ’।

आइए, जानते हैं तस्वीर के पीछे की कहानी

गौरतलब है कि, बनारस में कोरोना की चैन तोड़ने के लिए कोरोना कर्फ्यू लगाया है। बावजूद ढीठ बनारसी समझने को तैयार नहीं है। लाख समझाने के बावजूद लोग कोरोना कर्फ्यू को तोड़ रहे हैं। गलियों में गश्त कर रहे कोतवाली थाने के गायघाट चौकी प्रभारी अमित शुक्ला का पारा तब गर्म हो गया जब उन्होंने देखा गायघाट की गली में बिना किसी अनुमति के बग्घी सजधकर बारात निकलने की तैयारी हो रही थी। दारोगा अमित शुक्ला घर के अभिवावक को लताड़ लगाते हुए कहा कि ‘आखिरी बार समझा रहा हूँ, समझ जाओ’। फिर क्या गर्म मिजाज दारोगा जी की हाव भाव देखकर गली की आबो हवा ही बदल गई। पलक झपकते ही भीड़भाड़ दिखने वाली गली में सन्नाटा पसर गया।

कोरोना से जंग में लोगों के साथ मिलकर लड़ रहे दारोगा अमित शुक्ला

कोरोना वायरस की महामारी से जंग में गायघाट चौकी प्रभारी अमित शुक्ला रणभूमि में उतरे हुए हैं। अपने क्षेत्र के लोगों को कोरोना वायरस से सुरक्षित रखने के लिए दिनभर दारोगा अमित पसीना बहा रहे हैं। दोपहर की चिलचिलाती धूप में भी ये दारोगा टैंकरों से साथ गली-गली में घूमकर खुद गली, मकान व दीवारों का सेनिटाइजेशन कर रहे हैं। दारोगा के साथ ही उनके जवान भी इस महायुद्ध में पताका फहराने के लिए दिनभर जंग के मैदान में कमर कसकर जुटे हैं।

मासूम मुज्जफर को बुलेट पर बैठाकर निकल पड़े थे बनारस की गलियों में

महाशिवरात्रि के दिन दारोगा अमित शुक्ला गुमशुदगा मासूम मुज्जफर को उसके परिजनों से मिलाने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगा दिया था। अंजान नहीं बल्कि अपने बच्चे की तरह मासूम को अपनी बुलेट पर बैठाकर पूरे चौबीस घंटे तक बनारस की गलियों की खाक छानते रहे। कोशिश तब तक जारी थी, जब तक परिजनों से मुलाकात नहीं हो पाई। इस नेक काम के लिए लोगों ने जमकर तारीफ की थी।

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