रामलला के मंदिर निर्माण में भारत के हर पवित्र स्थल की माटी और जल का होगा इस्तेमाल।
अनिता चौधरी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मुख्य आतिथ्य में आगामी पांच अगस्त को भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में भव्य राममंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन होगा। इस भूमिपूजन में मध्य प्रदेश के दोनों ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर और ओंकारेश्व की मिट्टी के साथ ही शिप्रा और नर्मदा के जल का भी उपयोग होगा। इसके लिए विश्व हिन्दू परिषद की तरफ से बाबा महाकाल और ओंकारेश्वर मंदिर की मिट्टी तथा शिप्रा और नर्मदा नदी का जल अयोध्या भेजा गया है।
विहिप के मालवा प्रांत के अध्यक्ष कांतिभाई पटेल ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि सोमवार को ही महाकाल और ओंकारेश्वर मंदिर की मिट्टी और शिप्रा के जल का पूजन किया गया और इसके बाद राममंदिर भूमिपूजन के लिए उसे अयोध्या भेजा गया। इसके अलावा महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से बाबा महाकाल को चढ़ाने वाली भस्म को भी अयोध्या भेजा गया है।
गौरतलब है कि पांच अगस्त को अयोध्या में भव्य राममंदिर निर्माण के लिए आधारशिला रखी जाएगी, जिसमें देशभर के तीर्थ क्षेत्रों की मिट्टी और पवित्र नदियों के जल का उपयोग भूमिपूजन में होगा। कुछ दिन पहले केन्द्रीय समिति की ओर से ज्योतिर्लिंग महाकाल और ओंकारेश्वर का मिट्टी तथा शिप्रा का जल भेजने का आग्रह किया गया था। राममंदिर निर्माण में भारत के सभी पवित्र स्थल की मिट्टी रामलला के मंदिर में समाहित हो इसलिए वीएचपी ने ये बेड़ा उठाया है और सोमवार को विहिप के मालवा प्रान्त अध्यक्ष कांति भाई पटेल की अध्यक्षता में दोनों मंदिरों की मिट्टी और जल एकत्र कर अयोध्या के लिए रवाना कर दिया गया है।