साल 2022 के चुनावों के चलते यूपी में सियासी हलचल तेज हो गई है। भाजपा ने अपने विधायकों का रिपोर्ट कार्ड पर काम शुरू कर दिया है। जिस तरह से पिछले कुछ समय में सरकार और संगठन के सामने चुनौतियां खड़ी हुई है, उससे मुकाबले की रणनीति बनने लगी है। सूत्रों के अनुसार चुनाव में 2017 जैसी दमदार नतीजों के लिए साठ फीसदी विधायकों के टिकट कट सकते हैं।
भाजपा के लिए विधानसभा चुनाव में सत्ता की डगर आसन नहीं है। खतरे की घंटी पंचायत चुनाव में बज ही चुकी है। ब्रजप्रांत में जनप्रतिनिधियों की फौज होने के बावजूद पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक ही रहा। अलीगढ़ मंडल के चार जिले इसका उदाहरण हैं, जहां 124 सीटों में से महज 24 सीटों पर ही पार्टी के जिला पंचायत सदस्य के प्रत्याशी जीत दर्ज करा पाए। ऐसे में पार्टी ने 2022 में वापस यूपी की सत्ता में आने के लिए कवायद शुरू कर दी है। इसलिए केंद्रीय नेतृत्व विधायकों का रिपोर्ट कार्ड तैयार करा रहा है। किन विधायकों को फिर से टिकट मिलेगा और किनका पत्ता साफ होगा। यह सब रिपोर्ट कार्ड के आधार पर ही तय होगा। विधायकों की परफॉर्मेंस के हिसाब से पार्टी विधायकों को टिकट मिलेगी। विधायकों की परफॉर्मेंस को ग्राउंड लेवल पर जांची जाएगी। जिला स्तर से लेकर बूथ स्तर तक संगठन का फीडबैक तो लिया ही जाएगा, इसके साथ प्राइवेट एजेंसिंयां भी उनकी जांच करेंगी।
जनता बताएगी, विधायकजी एक्सीलेंट, गुड़ या फिर एवरेज हैं
सूत्रों के अनुसार तीन श्रेणियों में विधायकों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट तैयार की जाएगी। जिसमें एक्सीलेंट,गुड और एवरेज है। जिन विधायकों का परफॉर्मेंस एक्सीलेंट होगा वह दोबारा टिकट पाने के हकदार होंगे. इसके साथ ही आने वाले चुनाव में पार्टी ऐसे विधायकों को बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है। जिनका परफॉर्मेंस रिपोर्ट गुड होगा। उन्हें भी टिकट मिलने की पूरी संभावना है लेकिन एवरेज यानी औसत श्रेणी की परफॉर्मेंस में आने वाले विधायकों पर तलवार लटक सकती है।
विधायकों को छवि सुधारने के लिए छह महीने
विधायकों को अपनी छवि सुधारने के लिए छह महीने का समय है। इस समय में जनता तक सरकार की योजनाएं पहुंचाने और अपनी छवि को बेहतर करने का ही मौका है।