याज्ञवल्लिक
अंतिम संस्कार बुधवार की शाम या गुरूवार को
महान पुरोधा गायक पंडित जसराज के निधन से भारतीय शास्त्रीय संगीत के एक महान युग का अंत हो गया। मेवाती घराने के इस 90 वर्षीय गायक के कृष्णलोक गमन से उनके सनातनी प्रशंसक जो अपनी सुबह उनके भजन के साथ किया करते थे, आज शोकमग्न हैं।
उनका निधन अमेरिका के न्यू जर्सी में हुआ है। पंडित जसराज के निधन से संगीत जगत को हुई क्षति की भरपाई नहीं की जा सकती।
पंडित जसराज का, पार्थिव शरीर विशेष विमान से अमेरिका से मुंबई लाया जाएगा। विमान मंगलवार दोपहर को अमेरिका के न्यूजर्सी से रवाना हो गया था, जो बुधवार दोपहर तक मुंबई पहुंचेगा। अंतिम संस्कार बुधवार की शाम या गुरुवार को होने की संभावना है।
भारतीय संगीत रसिकों के शोक के साथ अपने गम का इजहार करते हुए पीएम मोदी ने उनके साथ की फोटो ट्विटर पर शेयर की ।
पंडित जसराज के निधन की खबर देते हुए उनकी बेटी दुर्गा जसराज ने बताया था कि बड़े दुख के साथ हमें यह सूचित करना पड़ रहा है कि संगीत मार्तंड पंडित जसराज ने अमेरिका के न्यू जर्सी में सोमवार की सुबह सवा पांच बजे दिल का दौरा पडने के चलते अंतिम सांसें लीं। उन्होंने कहा कि हम प्रार्थना करते हैं कि भगवान कृष्ण उनका स्वर्ग में प्यार से स्वागत करें जहां अब पंडित जी ओम नमो भगवते वासुदेवाय सिर्फ अपने प्यारे भगवान के लिए गाएंगे। हम प्रार्थना करते हैं कि उनकी आत्मा को हमेशा संगीत में शांति मिले।
भारतीय सांस्कृतिक क्षेत्र में पड़ा गहरा प्रभाव: पीएम मोदी
शास्त्रीय संगीत सम्राट के निधन पर पीएम मोदी ने गहरा दुख जताते हुए उनके साथ की फोटो ट्वीट करते हुए लिखा कि पंडित जसराज के दुर्भाग्यपूर्ण निधन से भारतीय सांस्कृतिक क्षेत्र में एक गहरा प्रभाव पड़ा है। न केवल उनकी प्रस्तुतियां उत्कृष्ट थीं, उन्होंने कई अन्य गायकों के लिए एक असाधारण गुरु के रूप में भी अपनी पहचान बनाई। दुनिया भर में उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति गहरी संवेदना है।
उनके निधन पर लोक संगीत गायिका मालिनी अवस्थी ने दुख प्रकट करते हुए ट्विटर पर लिखा कि मूर्धन्य गायक, मेवाती घराने के गौरव पद्मविभूषण पंडित जसराज जी नही रहे। आज अमरीका में उन्होंने अंतिम सांस ली। संगीत जगत की अपूरणीय क्षति है! विनम्र श्रद्धांजलि!
पंडित जसराज अपने जीवन काल में पद्म विभूषण, पद्म श्री संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, मारवाड़ संगीत रत्न पुरस्कार आदि सम्मानों से नवाजे गए थे। पंडित जसराज का जन्म 28 जनवरी 1930 को एक ऐसे परिवार में हुआ जिसे 4 पीढ़ियों तक हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत को एक से बढ़कर एक शिल्पी देने का गौरव प्राप्त था। उनके पिताजी पंडित मोतीराम जी स्वयं मेवाती घराने के एक विशिष्ट संगीतज्ञ थे।
उन्होंने बाबा श्याम मनोहर गोस्वामी महाराज के सान्निध्य में ‘हवेली संगीत’ पर व्यापक अनुसंधान कर कई नवीन बंदिशों की रचना भी की थी। भारतीय शास्त्रीय संगीत में उनका सबसे महत्त्वपूर्ण योगदान था।
काशी मे प्रतिवर्ष होने वाला संकट मोचन संगीत समारोह उनको शिद्दत से याद करता रहेगा। समारोह के पहले वर्ष से लगायत 2019 तक पंडित जसराज की काशी में उपस्थिति अपरिहार्य रहा करती थी। इस वर्ष कोरोना के चलते उन्होंने इस समारोह में अपनी वर्चुअल प्रस्तुति दी थी।