बिहार के कैमूर जिले के नुआंव प्रखंड के पीएचसी गर्रा में डॉक्टर ने एक गर्भवती महिला का बंध्याकरण (नसबंदी) कर दिया। जिस महिला की नसबंदी की गई, अल्ट्रासाउंड जांच में उसके गर्भवती होने का खुलासा हुआ, जिसके बाद हड़कंप मच गया। घबराए परिजन आनन-फानन में पीएचसी पहुंचे और डॉक्टरों के खिलाफ लापरवाही का आरोप लगाया व कार्रवाई की मांग की। इस बीच प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने कहा है कि नसबंदी पूरी तरह सफल है। लोगों का कहना है कि यदि चिकित्सा पदाधिकारी की बात सही है तो इसका मतलब यह हुआ कि इसकी जानकारी रहते हुए महिला का गर्भावस्था में ही नसबंदी कर दिया गया।

दरअसल, नुआंव गांव निवासी एनुल हक की पत्नी शहजादी बीबी की नसबंदी 5 दिसंबर 2020 को डॉ. बदरुद्दीन ने पीएचसी गर्रा में किया। गुरुवार को महिला की अचानक तबीयत बिगड़ी तो परिजनों ने उसे प्रखंड मुख्यालय स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। वहां के चिकित्सकों ने जांच के दौरान संदेह होने पर महिला की अल्ट्रासाउंड जांच करायी तो उसके गर्भवती होने का संदेह सच साबित हुआ। इसके बाद परिजन अस्पताल पहुंच गये।

परिजनों ने सवाल उठाया कि नसबंदी के पहले पीएचसी में जांच में लापरवाही बरतने वाले पैथोलॉजिस्ट व ऑपरेशन करनेवाले डॉक्टर के खिलाफ सिविल सर्जन तत्काल कार्रवाई करें। इस संबंध में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. महादेव प्रसाद ने बताया कि नसबंदी पूरी तरह सफल है। जच्चा व गर्भ में पल रहा शिशु दोनों सुरक्षित हैं। कभी-कभी पैथोलॉजिस्ट की जांच में मानवीय भूल या तकनीकी त्रुटि की वजह से रिपोर्ट निगेटिव आ जाती है। गर्भस्थ शिशु के जन्म लेने के बाद अब दोबारा महिला गर्भधारण नहीं कर सकती।

बताया जाता है कि एनुल हक नुआंव बाजार में सब्जी की दुकान चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करता है। उसने सरकार के परिवार नियोजन की कवायद का भागीदार बनने व छोटा परिवार के नजरिए से पत्नी की नसबंदी कराई। पत्नी के गर्भवती होने के खुलासे के बाद उसके होश उड़ गए। इस संबंध में ऑपरेशन करने वाले चिकित्सक का पक्ष जानने व लिखने के लिए उनके मोबाइल नम्बर 9931622275 पर कई बार कॉल की गई। लेकिन, उनके द्वारा रिसीव नहीं किया गया। उनके नंबर पर टेक्स्ट मैसेज करने के बाद भी कोई जवाब नहीं मिला।

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