नई दिल्ली (एजेन्सी)। लद्दाख में सीमा पर जारी चीन और भारत के गतिरोध के बीच पैंगोंग झील के नजदीक भारतीय नौसेना के बेहद खतरनाक मार्कोस कमांडो बल को तैनात किया गया है। सीमा पर चीन से हुई झपड़ के बाद से यहां पर इंडियन एयरफोर्स के गरुड़ और इंडियन आर्मी के पैरा स्पेशल फोर्स के कमांडो पहले से ही तैनात हैं। अब नौसेना के मरीन कमांडोज भी बॉर्डर पर पैगोंग झील में मारकोज कमांडो की तैनाती से दुश्मन के मंसूबों को नाकाम करने में आसानी होगी और चीन पर दबाव बढ़ेगा। मरीन कमांडो की तैनाती के साथ इंडियन एयरफोर्स, इंडियन आर्मी और इंडियन नेवी की ताकत में और इजाफा होगा।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि मरीन कमांडो की तैनाती का मकसद, तीन सेवाओं के एकीकरण को बढ़ाना और अत्यधिक ठंड के मौसम की स्थिति में नौसैनिक कमांडो को एक्सपोजर प्रदान करना है। जानकारी के मुताबिक ‘मार्कोस को पैंगोंग झील क्षेत्र में तैनात किया गया है। जहां भारतीय और चीनी सेना इस साल अप्रैल-मई के बाद से लगातार संघर्ष की स्थिति में हैं।’
नौसेना के इन कमांडो को नई नाव भी मिलेंगी जिससे उन्हें पैंगोंग झील में किसी भी तरह के ऑपरेशन में आसानी होगी।
चीन से झड़प के बाद LAC पर तैनात है स्पेशल फोर्स
बिनेट सचिवालय की स्पेशल फ्रंटियर फोर्स सहित भारतीय सेना की स्पेशल फोर्स लंबे समय से स्पेशल ऑपरेशन करने के लिए पूर्वी लद्दाख में अपने काम को अंजाम रहे हैं। मालूम हो कि सीमा पर विवाद सुलझाने को लेकर भारत और चीन के बीच कई दफा कमांडर्स की मीटिंग हो चुकी है बावजूद इसके ड्रैगन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। लिहाजा इतना तय माना जा रहा है कि दोनों ही देशों की सेनाओं को कड़कती ठंड में भी तैनात रहना होगा।
हिल्टनटॉप पर स्थांनतरित किए गए वायुसेना के गरुड़ कमांडो
मालूम हो कि पिछले दिनों ही भारतीय वायु सेना के गरुड़ विशेष बलों को वास्तविक नियंत्रण रेखा की हिल्टनटॉप पर स्थांनतरित कर दिया गया है। LAC की इस ऊंचाई वाली जगह पर अक्सर दुश्मन देश के विमान जो भारतीय हवाई अंतरिक्ष का उल्लंघन करने की कोशिश कर सकते हैं। लिहाजा यहां पर वायु सेना के गरुड़ स्पेशल फोर्स को तैनात किया गया है।
बेहद खतरनाक होते हैं नेवी के मार्कोज कमांडो
मरीन के कमाडों बेहद खतरनाक ट्रेनिंग के बाद तैयार होते हैं।बताया जाता है कि जब एक हजार जवान आवेदन देते हैं तो उनमें से कोई एक मार्कोज कमांडो बन पाता है। मार्कोज कमांडोज की क्षमता कल्पनाओं से परे हो सकती है।चाहे अरब सागर की गहराई में बिना ऑक्सीजन युद्ध हो या बर्फीले पानी वाली वूलर झील में – मार्कोस कमांडोज़ वहां उस हालत में भी आधे-आधे घंटे तक लड़ सकते हैं।