कोरोना के कहर में थोड़ी कमी के बीच कई राज्यों ने ‘अनलॉक’ की तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि, अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े विशेषज्ञ अभी लॉकडाउन में ज्यादा ढील देने के पक्ष में नहीं हैं। उनका कहना है कि जल्दबाजी में ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाया जाना चाहिए, जिससे बाद में पछताना पड़े। जर्मनी, ब्रिटेन, इटली समेत दुनिया के तमाम देश इस बात की जीती-जागती नजीर हैं कि कोरोना संक्रमण के पूरी तरह से काबू में आने से पहले प्रतिबंध हटाना कितना घातक साबित हो सकता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किए गए तमाम शोध भी दर्शाते हैं कि लॉकडाउन संक्रमण को बेकाबू होने से रोकने में कितना कारगर है।

पाबंदियों और कोरोना को लेकर क्या कहते हैं विशेषज्ञ

1.पाबंदियों में छूट का फैसला केंद्र करे: विक्रम सिंह, पूर्व डीजीपी, उत्तर प्रदेश

अभी ब्रिटेन सहित कई देशों ने पूरी तरह से अनलॉक नहीं किया है। भारत में दूसरी लहर का प्रभाव बाद में पड़ा है। ऐसे में अभी अनलॉक की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है। कोरोना के मामले भले ही घटने लगे हों, लेकिन मौतों के आंकड़े में कोई विशेष फर्क नहीं पड़ा है। ऐसे में लॉकडाउन और अनलॉक संबंधी मामलों को राज्य के स्तर पर नहीं करना चाहिए। ये फैसले केंद्र के स्तर से होने चाहिए। एक बार अनलॉक होने पर इस बात की आशंका है कि मामले दोबारा तेजी से बढ़ने लगेंगे। साथ ही अब जब लोग इन पाबंदियों के आदी हो चले हैं तो जल्दबाजी में ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाया जाना चाहिए, जिससे बाद में पछताना पड़े। अनलॉक की प्रक्रिया तब शुरू हो, जब कोरोना खत्म होने की कगार पर पहुंच जाए।

2.खतरा अभी टला नहीं, हड़बड़ी घातक: नरेश त्रेहन, चेयरमैन, मेदांता हॉस्पिटल

अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए, लेकिन सरकारों की ओर से लोगों को पूरी तरह से आगाह भी किया जाना चाहिए कि अगर कोरोना प्रोटोकॉल पर अमल नहीं किया गया तो दोबारा लॉकडाउन लगाया जाएगा। खतरा अभी टला नहीं है। न तो कोरोना मरीजों की संख्या थमी है और न ही मौतें। ऐसे में कोरोना की पिछली लहर की तरह जल्दी-जल्दी अनलॉक नहीं करना चाहिए।

शुरुआती चरण में सिर्फ बेहद जरूरी चीजों को खोला जाए। मॉल और भीड़भाड़ वाली जगहों पर प्रतिबंधों में ढील सबसे बाद में दी जाए। जहां भी अनलॉक किया जाए, वहां बाकायदा सख्ती हो तभी हालात बेकाबू होने से रोके जा सकेंगे। लोगों को भी समझना होगा कि यदि हम अब भी कोरोना से बचाव के लिए जरूरी एहतियाती उपाय नहीं अपनाएंगे तो और नुकसान होना तय है।

3.मामले बढ़ते ही फिर लगाए जाएं प्रतिबंध: योगेंद्र कपूर, आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ

चरणबद्ध तरीके से कुछ राज्यों में अनलॉक की प्रक्रिया को शुरू करना बिल्कुल ठीक कदम है, लेकिन साथ ही इसमें एक शर्त यह भी होनी चाहिए कि जैसे ही कोरोना के मामले बढ़ें, दोबारा पाबंदी लगाई जाए। दुनियाभर में इसी तरह से कोरोना की दूसरी लहर से निपटा गया है। जैसे ही मामले बढ़े लॉकडाउन लगा दिया गया और मामले घटते ही ढील दी जानी शुरू कर दी गई।

हालांकि, भारत की दूसरे देशों से तुलना नहीं की जा सकती है, क्योंकि यहां लोगों के जीवन और आजीविका के बीच सामंजस्य बनाना होता है। केंद्र और राज्यों की सरकारें ज्यादा दिनों तक लॉकडाउन नहीं लगा सकती हैं। देश में जरूरी है कि अनलॉक के साथ-साथ तेजी से टीकाकरण किया जाए, ताकि लोगों में कोरोना के खिलाफ सुरक्षा कवच विकसित हो सके और स्वास्थ्य ढांचे पर दबाव घट पाए।

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