गुरुग्राम 12 नवंबर 2021: गुरुग्राम के मणिपाल हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने, एक दुर्लभ स्थिति वाले ब्रेन हेमरेज से पीड़ित बूढ़े व्यक्ति (67 साल) का सफलतापूर्वक इलाज किया। इस व्यक्ति को सबाराचिनोइड रक्तस्राव और दिल का दौरा एक साथ हुआ था। मरीज सिर दर्द और सीने में तकलीफ की शिकायत लेकर अस्पताल आया था। बाद में मस्तिष्क स्कैनिंग और कई रक्त परीक्षण के मूल्यांकन में यह पाया गया कि रोगी के सिर के अंदर आंतरिक रक्तस्राव हो रहा था जो सिरदर्द का प्रमुख कारण था। उन्हें दिल का दौरा भी पड़ा था जिससे स्थिति और भी खराब हो गई तथा जिसके परिणामस्वरूप ब्लैकआउट, सीने में दर्द, और रोगी को अन्य असुविधाएँ होने लगीं।
मणिपाल हॉस्पिटल के हृदय रोग एवं न्यूरोसर्जन विशेषज्ञों ने अत्यंत जोखिम भरी दो दिवसीय सर्जरी प्रक्रिया कर रोगी का सफलतापूर्वक इलाज किया। सबसे पहले, इंट्राक्रेनियल कोइलिंग सर्जरी से रोगी के सिर के अंदर आंतरिक रक्तस्राव को नियंत्रित किया गया। आमतौर पर, मस्तिष्क में रक्तस्राव के मामलों में, रक्त को पतला करने वाली दवाओं को तुरंत बंद कर देना चाहिए ताकि आगे किसी भी रक्तस्राव से बचा जा सके, लेकिन, इस मामले में, ऐसा नहीं किया जा सका क्योंकि रोगी को दिल का दौरा पड़ा था, जिसने सर्जरी को और भी जटिल बना दिया। सर्जन्स ने रक्तस्राव के जोखिम कारकों के बावजूद यह सर्जरी सफलतापूर्वक पूरी की।
डॉक्टरों का इरादा केवल पहले रोगी के सिर के अंदर रक्तस्राव का इलाज करना था, लेकिन रोगी को दिल का दौरा पड़ने से सीने में दर्द और लो ब्लड प्रेशर हो गया जिससे कि उसकी हालत और बिगड़ गयी । नतीजतन, डॉ. मोनिक मेहता और उनकी टीम ने उसके जीवन को बचाने के लिए जीवन रक्षक हृदय प्रक्रिया यानी कोरोनरी एंजियोप्लास्टी करने का विकल्प चुना। दो दिन के लंबे इलाज के दौरान डॉक्टर्स बेहद सतर्क रहे क्योंकि दिल के ऑपरेशन के दौरान और बाद में खून को पतला करने वाली दवाओं को देने से फिर से सिर के अंदर रक्तस्राव शुरू हो सकता है, जिससे मरीज की जान को खतरा हो सकता था। लेकिन डॉक्टरों ने अपने अनुभवी हाथों से रक्तस्राव को सफलतापूर्वक नियंत्रित किया और साथ ही साथ रोगी के हृदय की सर्जरी यानी एंजियोप्लास्टी भी की।
मामले की गंभीरता पर बोलते हुए कर्नल (डॉ.) मेहता, कहा, “जब मरीज अस्पताल आया, तो उसे पहले से ही एक गंभीर सिरदर्द और ब्लैकआउट शिकायत था। यह एक जटिल मामला था क्योंकि उपचार की लाइन की ये दोनों सर्जरी अलग हैं और इसके लिए बहुत अनुभव की आवश्यकता है। उपचार के तौर-तरीके बहुत गंभीर थे क्योंकि कोई भी गलत उपचार हृदय या मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकता था। हालांकि, दोनों सर्जरी सफल रही और मरीज की जान बच गई। वह अब अच्छा महसूस कर रहा है और स्वस्थ एवं सामान्य जिंदगी जी रहा है।”