नई दिल्ली | दिल्ली में प्रदूषण से जंग लड़ने को केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश का सहारा लिया है। केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि वह प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए अध्यादेश लाई है और इसे जारी भी कर दिया गया है। मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की पीठ को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने इस अध्यादेश के बारे में जानकारी दी।

पीठ ने इस पर कहा कि दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की वजह से हो रहे वायु प्रदूषण का मुद्दा उठाये जाने के मामले में कोई निर्देश देने से पहले वह अध्यादेश देखना चाहेगी। कोर्ट ने कहा कि विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली में प्रदूषण के लिए पराली का जलना ही जिम्मेदार नहीं हैं, आपकी खूबसूरत बड़ी कारें भी प्रदूषण करती हैं। 

जस्टिस बोबडे ने वकीलों से कहा कि समय आ गया है कि आप अपनी साइकिलें निकालें। पीठ ने कहा, हम कोई आदेश पारित करने से पहले अध्यादेश पर गौर करना चाहेंगे। याचिकाकर्ता भी इसे देखना चाहेंगे। 

पीठ ने 26 अक्तूबर को दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारक पराली जलाये जाने की रोकथाम के लिए पड़ोसी राज्यों द्वारा उठाए गए कदमों की निगरानी के वास्ते शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश मदन बी लोकुर की अध्यक्षता में एक सदस्यीय समिति नियुक्त करने का अपना 16 अक्टूबर का आदेश सोमवार को निलंबित कर दिया था। 

न्यायालय ने 16 अक्तूबर को दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की तेजी से बिगड़ रही स्थिति पर चिंता व्यक्त की थी और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) मदन लोकुर की एक सदस्यीय समिति नियुक्त की थी, जिसे पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की रोकथाम के लिए उठाए गए कदमों की निगरानी करनी थी। न्यायालय ने उस दिन केंद्र, उत्तर प्रदेश और हरियाणा की आपत्तियों को दरकिनार कर दिया था।

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