बेहद अनूठी है इस अनूठे अधिवक्ता संत की कहानी

ये करुणेश शुक्ला हैं, जो वकील बनने के पहले कथावाचक थे और एक दिन अचानक मन में ठान लिया कि राम मंदिर के निर्माण के लिए हर कानूनी दाँव पेंच का जवाब देंगे। राम मंदिर के लिए सभी कानूनी बाधाएँ पूर्ण हो जाने के बाद वे कृष्ण जन्म भूमि को मुक्त करना के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।

बचपन से था राष्ट्र और सनातन संस्कृति से लगाव

करुणेश शुक्ल का जन्म उत्तरप्रदेश के एक छोटे से गांव में हुआ । प्रारम्भिक शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर से हुई जहां बचपन में ही धर्मप्रेम, संस्कृति प्रेम, देशप्रेम के बीज पड़ गए. मेट्रिक की परीक्षा पास कर वे आगे के अध्ययन हेतु अयोध्या के आश्रम में रहने चले गए। वहां उन्होंने सिद्धपीठ हनुमान गढ़ी में दीक्षा प्राप्त कर मन्दिर की सेवा व गुरुचरणों की सेवा में तल्लीन रहकर रामचरित मानस का तीन वर्षों तक गहन अध्ययन किया. साथ ही अन्य शास्त्रों का भी अध्ययन करते रहे।

सनातन धर्म के लिए कुछ करने के जज़्बे ने बनाया अधिवक्ता

पढ़ाई पूरी करने के बाद करुणेश एक सफल कथावाचक बन गए लेकिन एक अच्छे कथावाचक रूप में धन अर्जन, मान सम्मान, गुरु परम्परा से गुरु गद्दी की महंती, मन्दिर की करोड़ो की धन संपत्ति, अयोध्या से लेकर बिहार के प्रसिद्ध पचौरी स्टेट की धन सम्पदा भी करूणेश को रास नही आ रही थी।सनातन धर्म के प्रति उनकी कसमसाहट उनके भीतर स्पष्ट देखी जा सकती थी।

रामलला को टेंट से मुक्त कराने का लिया संकल्प

उन्होंने गुरु से आशीर्वाद लेकर रामलला को टेण्ट से मुक्ति दिलाने हेतु वकालत करने का निर्णय लिया। सभी सुख वैभव छोड़ वे वकालत पढ़ने चले गए. 2015 में 24 वर्ष की उम्र में वकालत पूर्ण कर राममन्दिर केस में शामिल हो गए। राममन्दिर निर्माण निर्णय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के बाद वे अब श्रीकृष्ण जन्मभूमि को मुक्त कराने हेतु मथुरा केस लड़ रहे है। उनके प्रयासों द्वारा खारिज हो चुकी याचिका पुनः कोर्ट को मंजूर करनी पड़ी. उनकी एक टीम काशी विश्वनाथ मंदिर को मुक्त कराने हेतु भी कार्य कर रही है।

आसमानी किताब के खिलाफ भी खोला मोर्चा, कई आयतों पर जताई आपत्ति

करूणेश देश के ऐसे पहले वकील हैं जो आसमानी किताब की कुछ आयतों को संविधान के विरुद्ध बताकर उन्हें हटाने हेतु कोर्ट जा चुके हैं। लवजिहाद में फंसी लड़कियों का मुकदमा में वे फ्री में लड़ते है. आपातकाल के दौरान संविधान में जबरन थोपे गए शब्द “सेक्युलर” और “सोशलिस्ट” को गैर संवेधानिक बताकर संविधान से हटाने हेतु लगाई गई उनकी याचिका पर सुनवाई चल रही है।

2015 से शुरू हुई वकालत के सफर की शुरुआत

एक अच्छे कथावाचक के तौर पर समाज मे काफी पैसे ,मान -सम्मान , गुरु परमपरा से गुरु गद्दी की मंहत की गादी, मंदिर की करोडो़ की धन, सम्पति जो अयोध्या से लेकर बिहार के प्रसिद्ध “पचारी स्टेट” की सम्पदा, अन्य राज्यो मे भी मंदिर की सारी ऐसो आराम की जिन्दगी इस बालक को रास नही आ रही थी। फिर उन्होंने राम मंदिर निर्माण के लिये स्वपन देखना बंद न करके, जमीनी स्तर पर काम करने के लिये उन्होने खुद ही कानून की पढ़ाई की । वर्ष 2015 मे खुद को एक वकील के तौर पर रजिस्टर करवाया

एपेक्स कोर्ट से हुआ आगाज़, एनजीओ का भी किया गठन

इसके बाद मे, देश के सर्वोच्य न्यायालय मे वकालत की शुरुआत की , जहां पर राम जी के मंदिर का केस चल रहा था, जो कि उनके जीवन का उदेश्य था। उन्होने गन्ना किसानो के लिये एक मशीन का अविष्कार भी किया, जिससे गन्ना किसानो को गन्ने की खेती मे काफी मदत मिलेगी । इसके साथ ही उन्होने मिशन ह्यूमेनिटी ग्रुप नाम से एक एनजीओ का गठन किया है, जो पूरे देश मे फैला हुआ है, हजारो की संख्या मे लोग जुड़े है और जुड़ रहे है ।

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