डॉ. रजनीकांत दत्ता
पूर्व विधायक, शहर दक्षिणी
वाराणसी ( यू पी )

मौजूदा दौर में देश दैवीय और मानवीय आपदा और उससे जन्य सामाजिक, राजनीतिक और आंतरिक देशद्रोही क्रियाकलापों से तो जूझ ही रहा है, साथ ही साथ LOC और LAC पर भी शत्रु देशों को मुंहतोड़ जवाब भी दे रहा है। यह मौजूदा सरकार की दूरदृष्टि और सक्षम कार्यशैली तो है ही, लेकिन उससे अधिक हम 130 करोड़ भारतवासियों का रचनात्मक समर्थन भावी इतिहास के स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा।

यह वह समय है कि, अगर कहीं कोई कमी हो तो हम भारतवासी जीवन की आधारभूत आवश्कताओं की पूर्ति हेतु सरकार से माँग तो कर सकते हैं, लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि,1965 के हिंदुस्तान-पाकिस्तान युद्ध के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के आह्वान पर हमने अपमानजनक शर्तों पर PL 480 का गेहूं खाना अस्वीकार ही नहीं किया, बल्कि आर्थिक योगदान के रूप में हफ्ते में एक दिन, यानी सोमवार को अन्न का त्याग भी कर दिया।
आज फिर वही घड़ी आ गयी है कि, हम सरकार से यह न पूछें कि, तुम हमारे लिए क्या कर रहे हो? बल्कि वह हर बड़ी से बड़ी कुर्बानी देने को तैयार रहें, जो देश के अस्तित्व और हमारी विरासत और संस्कृति की रक्षा हेतु आवश्यक है।

पाकिस्तान सन् 1947, 1965, 1971 और 1999 में जब आमने-सामने की लड़ाई में हमसे बुरी तरह पराजित हो गया, तो उसने आतंकवाद का सहारा लिया। उसने सोचा कि, हिंदुस्तान में मौजूद अपने स्लीपर सेल्स के मार्फत घात लगाकर भारत माता के शरीर पर हज़ारों BLEEDING WOUND करेगा और इस GORILLA युद्ध द्वारा भारत को घुटने टेकने पर मज़बूर करेगा।
लेकिन 2014 में भाई नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमने उसके गज़वा-ए-हिन्द के मंसूबे को ही नहीं ध्वस्त किया, बल्कि संविधान से धारा 370-35 A जो तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का CONSTITUTIONAL FRAUD था, उसे संवैधानिक तरीके से हटाकर जम्मू, कश्मीर और लद्दाख को UNION TERRITORY घोषित कर दिया। यानी कि भारतीय गणतंत्र का अभिन्न अंग। साथ ही घोषणा भी की कि, POK में पाकिस्तान TRESSPASER है। और अब POK भी उपरोक्त UNION TERRITORY का अभिन्न अंग है। आज जिन समस्याओं से हमें LAC और LOC पर पाकिस्तान और चीन से रूबरू होना पड़ रहा है, वह VISIONARY PM, जवाहर लाल नेहरू के गलत मूल्यांकन और निर्णयों का नतीजा है।
कहते हैं कि, खता लम्हे करते हैं और दुष्परिणाम सदियों को भुगतना पड़ता है। ऐसा ही दुर्भाग्य हमारे साथ भी हुआ था, जब ALL INDIA CONGRESS की WORKING कमिटी ने पू‍र्ण बहुमत से स्वर्गीय वल्लभ भाई पटेल को भावी प्रधानमंत्री नामित किया था। लेकिन नेहरू के ब्लैकमेल के कारण गाँधी जी ने आदरणीय सरदार पटेल की जगह नेहरू को PM बना दिया।

चीन एक विस्तारवादी देश है, साम-दाम-दंड-भेद दो कदम आगे और एक कदम पीछे की नीति पर चलने वाला। मित्रता के बहाने बताशे में जहर मिलाकर आपको येन-केन-प्रकरेण अपने आधिपत्य में लेने वाला। लेकिन जब उसने देखा कि, पारंपरिक तरीकों से उसके मंसूबे पूरे नहीं होंगे, तो प्रथम चरण के रूप में उसने NEPAL, MYANMAR, MALDIVE, SRILANKA और PAKISTAN को डेथ ट्रैप में फंसा कर हिंदुस्तान को सामरिक दृष्टि से घेरने की कोशिश की। लेकिन जब वह उसमे सफल नहीं हो सका, तो हिंदुस्तान पर BIOLOGICAL ATTACK कर भारत की आर्थिक कमर तोड़, गृह युद्ध की संभावना बनाते हुए उसने LAC पर सामरिक गतिविधियां तेज़ कर दीं। लेकिन यह भारत की विदेश नीति है कि, जहां चीन के साथ उसके कुछ चंगू-मंगू ही हैं और भारत के साथ विश्व के 95% तक समृद्ध शक्तिशाली राष्ट्र हैं। यहाँ पर भी चीन को मुँह की खाते देख वे राजनीतिक दल परेशान हो गये, जिन्होंने परिवारवाद के नाम पर 67 सालों तक देश को चूसकर मलाई खायी। 2014 में सत्ता उनके हाथ से चली गयी। वह भी एक ऐसे आदमी द्वारा जो पिछड़ी जाति के गरीब परिवार में पैदा हुआ था और जिसने अपने जीवन के शुरुआती दौर में PLATFORM के रेल के डिब्बे में चाय बेची थी। हो सकता है,भाई नरेंद्र मोदी ने नोटबन्दी, GST जैसे निर्णय किये हों,जो समय की मांग के मद्देनजर कतई अव्यावहारिक नहीं है (GST तो विपक्ष के लगभग पूर्ण सहयोग से पास हुआ था, जो आज भी सुधारोन्मुख है)।

अखिल भारतीय कांग्रेस 134 वर्ष पुराना राजनीतिक दल है। उसने देश को हर विधा में STALVERT दिये हैं। यह दुर्भाग्य है कि, आजादी के बाद यह आंदोलन CADER BASE न होकर वंशवादी हो गया।
आदरणीय राजीव गांधी जी तक यह हो सकता है कि, कुछेक गलत निर्णय किये गये हों। लेकिन उसमें सनातन धर्म और भारतीयता की सुगंध थी।
1998 में यानी राजीव जी की मृत्यु के सात वर्ष बाद बिना किसी योग्यता या अनुभव के सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष हुई और यह क्रम कभी माँ, कभी बेटा आजतक चल रहा है। सोनिया गांधी जो जन्मना रोमन कैथोलिक हैं, उनका न तो कभी सनातन धर्म से और न ही भारतीय सभ्यता या संस्कृति से और न ही गांधी परिवार से कोई लगाव रहा।
उदहारण: जब 1971 में बांग्लादेश के लिए लड़ाई हुई, तो उन्हें यह भय था कि, भारत पाकिस्तान के हाथों पराजित हो जाएगा। इसीलिए वे इंदिरा गांधी और पुत्रों को राम भरोसे छोड़ बच्चों के साथ अपने मायके ITALY चली गयीं और जब emergency लगी, तो फिर उन्होंने गांधी परिवार को छोड़, अपने बच्चो के साथ दिल्ली की ITALY EMBASSY में शरण ले ली थी। इसके अलावा उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने रामायण, भगवान राम और रामसेतु के अस्तित्व को नकारा है और कहा कि, राम तो काल्पनिक हैं।
यही नहीं प्रणब मुखर्जी ने अपनी पुस्तक CO-ALLIATION AGES में लिखा है कि, कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य को अपने सहयोगी की हत्या करने के आरोप में बिना किसी ठोस सबूत के 8 वर्षों तक जेल में रख कर अमानुषिक अत्याचार किया और सनातन धर्म में लोगों की आस्था को कमज़ोर करने का हर संभव प्रयास किया। यही नहीं सनातन धर्म के अंतर्गत आने वाले मंदिर, अखाड़े और मठों के चढ़ावे पर Tax लिया जाता था, जबकि अन्य धर्मों के चढ़ावे पर नहीं। बल्कि उन्होंने देशविरोधी सम्प्रदायों को प्रोत्साहन दिया। जब CAA इंट्रोड्यूस हुआ, तो अपने एक भाषण में उन्होंने मुसलमानो को भड़काते हुआ कहा कि, इससे आपकी नागरिकता प्रभावित होगी। यह जीवन मरण का प्रश्न है और आर-पार की लड़ाई है। इसी के कारण शाहीन बाग और देश के अन्य भागों में साम्प्रदायिक दंगे हुए। सनातन धर्म के प्रचारकों और महात्माओं को भगवा आतंकवाद से जोड़ा, यानी कि, हिंदी शब्दकोश को एक नया शब्द दिया। और अपरोक्ष में ROMAN CATHOLIC CHURCHS और CONVENTS को भारतीय संस्कृति खत्म करने के लिए पूरा बढ़ावा दिया।

एक बार महात्मा गांधी से किसी ने पूछा कि,आपका धर्म क्या है? तो उन्होंने कहा कि, सनातन धर्म क्योंकि मैं पुनर्जन्म में विश्वास करता हूं। शायद यही वो LACUNA है, जो रोमन कैथोलिक सोनिया गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में हमेशा के लिए कांग्रेस को एक अखिल भारतीय दल के रूप में समाप्त करने की राजनीतिक प्रेरणा देता है।
अब रही राहुल गाँधी की बात तो राजनीति उनके लिए बनी ही नहीं है। जीवन के आरंभ से उनकी सर्वसाधन सम्पन्न करोड़पति-अरबपति PLAYBOY की छवि है।जबरदस्ती उनकी इच्छा के विपरीत उन्हें CONGRESS जैसी महान संस्था की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। जिसमें उनका कोई INTEREST नहीं है। वह जो कुछ भी बोलते या लिखते है, वे उन्हें CONGRESS के VESTED INTEREST लिखवाते-बोलवाते है। वह बेचारा तो अपनी माँ-बहन की हाथों की कठपुतली है।
दया का पात्र है।
वह क्या बोलता है,उसके दूरगामी प्रभाव क्या होंगे वह खुद नहीं जानता।
इसीलिए मैं ईश्वर और देशवासियों से प्राथना करता हूँ कि, इसकी इस मूर्खता के लिए इसे माफ करें।

देर आयद,
दुरुस्त आयद।

मैं उन 23 मूर्धन्य, कर्मठ और समर्पित कांग्रेसजनों का नमन और अभिनंदन करता हूँ, जिन्होंने देशहित में कांग्रेस में पुनर्जागरण और पुनर्संगठन की बात की है।

व्यक्तिगत हित से पार्टी का हित, और पार्टी के हित से ऊपर राष्ट्र का हित होता है।
अर्थातः देशहित सर्वोपरि।
कोई भी निर्णय लेने से पहले इसे ध्यान में रखें।

बेरोजगारी का हल,
नौकरी नहीं रोज़गार है।
LOCAL को VOCAL बनाईये।

वंदे मातरम।
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