नई दिल्ली (एजेंसी)। ब्रिटेन ने गुरुवार को कहा कि चीन की कारगुजारियों ने दुनियाभर में चुनौतियां पैदा की हैं, लेकिन साथ ही उसने भारत-चीन द्वारा पूर्वी लद्दाख में तनाव घटाने के प्रयासों का स्वागत भी किया। ऑनलाइन मीडिया ब्रीफिंग में भारत में ब्रिटेन के उच्चायुक्त सर फिलिप बार्टन ने हांगकांग में चीन द्वारा विवादित सुरक्षा कानून लागू करने, गलवन घाटी में भारतीय सैनिकों की शहादत और शिंजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों के खिलाफ चीन द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन का जिक्र किया।
सर बार्टन ने कहा कि चीन ने क्षेत्र के साथ-साथ दुनियाभर में जो चुनौतियां पेश की हैं, उनके बारे में ब्रिटेन की सोच बिल्कुल स्पष्ट है। ब्रिटेन चीन के साथ काम करना चाहता है। ब्रिटेन को चीन के साथ सकारात्मक और रचनात्मक बातचीत की उम्मीद है और इसकी कोशिश भी करेगा, लेकिन चुनौतियां भी हैं। हांगकांग एक खास चुनौती है।
हांगकांग में नए कानून से आई खटास
दरअसल, ब्रिटेन का कहना है कि हांगकांग में लागू नया सुरक्षा कानून चीन के साथ 1997 में हुए संयुक्त घोषणापत्र को कमजोर बनाता है। बार्टन ने संकेत दिए कि इन चुनौतीपूर्ण हालात से निपटने के लिए ब्रिटेन अमेरिका जैसे अपने सहयोगियों के साथ काम करने जा रहा है। भारत के चीन के साथ सीमा विवाद पर उन्होंने उम्मीद जताई कि दोनों पक्ष वार्ता के जरिये तनाव घटाने में समर्थ होंगे।
भारत के साथ ब्रिटेन के संबंधों पर सर बार्टन ने कहा कि व्यापार और आर्थिक समझौतों की राह तलाशने के लिए शुक्रवार को भारत एवं ब्रिटेन के व्यापार मंत्रियों की बैठक होगी। हमने यूरोपीय यूनियन छोड़ दिया है तो अब हम अपने वाणिज्यिक संबंधों को मजबूती दे सकते हैं। भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते की संभावना पर उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष व्यापार और कारोबारी संबंधों को मजबूत बनाने पर चर्चा करेंगे। उन्होंने भारत सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान को संरक्षणवादी कदम मानने से
भारत में वैक्सीन की शानदार क्षमता
कोविड-19 की वैक्सीन को लेकर बार्टन ने कहा कि भारत में वैक्सीन की शानदार क्षमता है, खासतौर पर सीरम इंस्टीट्यूट। हमने कई समझौते किए हैं और सबसे उल्लेखनीय एस्ट्राजेनेका के साथ है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन के बारे में उन्होंने कहा, ‘हमें सतर्क रहने की जरूरत है। हमें नहीं पता कि यह काम करने जा रही है या नहीं। ऑक्सफोर्ड की स्थिति अच्छी है, लेकिन वे अभी वहां पहुंचे नहीं हैं।’ उच्चायुक्त ने बताया कि ब्रिटेन अब भारत का दूसरा सबसे बड़ा रिसर्च पार्टनर है। अगले साल हम रिसर्च पार्टनरशिप में 40 करोड़ पाउंड लगाएंगे।