पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की जांच के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को जांच दल गठित करने के आदेश को पलटने से कोलकाता हाई कोर्ट ने इनकार कर दिया है। उच्च न्यायालय के इस आदेश को लेकर बीजेपी नेता स्मृति इरानी ने कहा है कि इससे पीड़ितों का भरोसा मजबूत होगा। केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने कहा, ‘मैं अदालत का आभार प्रकट करती हूं। उसके इस फैसले की वजह से उन लोगों को भरोसा मिलेगा, जिनका उत्पीड़न हुआ है। जिनके परिजनों के कत्ल हुए हैं और महिलाओं के रेप हुए हैं। उन लोगों को न्याय मिल सकेगा। देश के लोकतांत्रिक इतिहास में मैं पहली बार देख रही हूं कि कोई सीएम लोगों को इसलिए मरते हुए देख रही है क्योंकि उन्होंने उनको वोट नहीं दिया था।’
ममता बनर्जी पर तीखा हमला बोलते हुए इरानी ने कहा, ‘महिलाओं को घर से निकालकर ले जाया जा रहा है और उनका खुले में रेप हो रहा है, चाहे वह दलित महिला हो या फिर आदिवासी। एक 60 वर्षीय महिला ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की और बताया कि कैसे उनके 6 साल के पोते के सामने रेप किया गया। सिर्फ इसलिए उनके साथ ऐसा हुआ क्योंकि वह बीजेपी की वर्कर हैं। ममता बनर्जी चुप रहकर और कितने रेप होते देखेंगी।’ इरानी ने कहा कि उस राज्य में आम लोग कैसे सेफ हो सकते हैं, जहां केंद्रीय मंत्रियों की गाड़ियों पर पत्थर फेंके जाते हों।
यही नहीं स्मृति इरानी ने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि खुद ह्यूमन राइट्स ऐक्टिविस्ट बताने वाले लोगों से भी मेरा सवाल है कि आखिर वे लोग रेप का शिकार हुई महिलाओं को न्याय की मांग के लिए प्रेस क्लब के बाहर कोई जुलूस क्यों नहीं निकालते हैं। बता दें कि सोमवार को ही कलकत्ता हाई कोर्ट की 5 सदस्यीय बेंच ने 18 जून के उस आदेश पर रोक से खारिज कर दिया है, जिसमें मानवाधिकार आयोग को हिंसा के मामलों की जांच के लिए टीम गठित करने और जांच की रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया गया था।