विशेष प्रतिनिधि

नई दिल्ली। भारतीय चयन समिति के अध्यक्ष के लिए चार पूर्व खिलाड़ियों का अंतिम चयन कर लिया गया है और आने वाले दिनों में इनमें से कोई एक चेयरमैन बनेगा। लेकिन जो नाम सामने आ रह हैं, वे भी पूर्व अध्यक्ष एमएसके प्रसाद की ही तरह लो प्रोफाइल के रहे हैं। अलबत्ता अजीत अगरकर ने कहीं ज्यादा मैच खेले हैं और उनका नाम ज्यादा रहा है। एक नाम और है जो राजेश चौहान का है, ये चार दशक पहले भारतीय स्पिन तिकड़ी के अहम सदस्य हैं जिसने अपनी जमीन पर सबको नचा दिया था। तीसरे हैं वेंकटेश प्रसाद। इनकी स्विंग होती गेंदें इसलिए मारक थीं कि लाइन-लेंग्थ के करीब होती थीं और उतनी ही मूव होती थी कि बल्ले को छका जाए या किनारा ले ले। यूपी टीम के कोच रह चुके हैं और काफी बवाल तब झेला था। अंतिम नाम है, लक्ष्मण शिवरामकृष्णन, जिन्हें कभी सर्वाधिक प्रतिभाशाली कलाई का स्पिन गेंदबाज माना जाता था लेकिन ‘गैर क्रिकेटीय’ वजहों से ये सात टेस्ट के ज्यादा नहीं खेल सके।

माना तो यह जा रहा था कि बीसीसीआई किसी नामी खिलाड़ी को इस बार चयनसमिति की सदर नियुक्त करेगी ताकि खिलाड़ियों पर दबाव बनाया जाए और साथ ही मीडिया या दूसरे लोगों को भी अर्दब में लाया जा सके कि जब कोई चाहे या कुछ और कारणों से सवाल न उठाया जा सके।

आवेदकों में तो कई भारी भरकम भी थे, पर किन्हीं कारणों से (वैसे क्रिकेट सर्किल जानती है क्यों) उनके नाम खारिज हो गए और चार गुणीजनों के नाम चयन कर लिए गए। उपरोक्त इन्हीं चारों को क्रिकेट एडवाइजरी कमेटी के सामने जिसके मदनलाल, विवादास्पद आरपी सिंह और सुलक्षणा नाइक सदस्य हैं, पेश होना है।

बोर्ड के नए संविधान के तहत तो क्षेत्रीय रोटेशन सिस्टम को खत्म कर दिया गया है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि बीबीसीआई पुराने मॉडल पर ही चलना चाहती है ताकि संतुलन साधा जा सके। इस माह के अंत तक पता चल जाएगा।

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