पदम पति शर्मा
पत्ते मत खडकाइए, जड़ पर प्रहार कीजिए। “भारतीय बल्लेबाज पिद्दी निकले, उसकी गेंदबाजी भोथरी थी”। इस तरह के बयान देने वाले भावुक क्रिकेट प्रेमियों से मैं सिर्फ यही कहना चाहता हूं कि कोई भी टीम एक दिन मे कमजोर या ताकतवर नहीं हो जाती। विश्व कप से दुखदायी विदाई, जो सुनिश्चित सी है, के लिए जिम्मेदार भारतीय टीम नहीं इस 20-विश्व कप की मेजबान बीसीसीआई है जिसने ओस की अहम भूमिका को दरकिनार कर दुबई में शाम साढे सात बजे से मैच रखे ताकि उसे ज्यादा से ज्यादा रेवेन्यू मिले। जबकि आईपीएल के दौरान दुबई में मुकाबले की हार जीत खेल नही सिक्के की उछाल तय कर दे रहा था । वही जुए सरीखी कहानी यहां भी दोहराई जा रही है। खेल की सही मायने में जीत तब होती जब यहां मैच सिर्फ भारतीय समयानुसार तीन बजे ही रखे गए होते। लेकिन जय हो धनलोलुप क्रिकेट बोर्ड की जिसके लिए उसकी टीम की हार जीत नहीं सिर्फ तिजोरी मायने रखती है। पहले पाकिस्तान और अब न्यूजीलैंड से पिटने के बाद टीम इंडिया की इस विश्व कप से विदाई सुनिश्चित है और फिर दर्शक भी मैदान से गायब होने ही हैं। टीवी पर इसकी टीआरपी का कितना कबाड़ा होगा, यह भी भला कोई पूछने की बात है ?
टीम के कोचिंग स्टाफ और खिलाडियों में किस किस को बलि का बकरा बनाया जाएगा, अब ये देखने वाली बात होगी।
विराट कोहली की बतौर कप्तान टी-20 से विदाई सालने वाली है। बताने की जरूरत नहीं कि रवि शास्त्री को हेड कोच से मुक्ति मिलने के बाद अब जम कर बीयर गटकने का मौका मिलेगा।
लोग पूछते हैं हमसे कि अचानक मेरी क्रिकेट से विरक्ति क्यों हो गयी? उनको एक ही जवाब है यह खेल बाजार के लिए पैसे कमाने की मशीन बन चुका है। जो खेल कभी मेरे लिए जुनून था दीवानगी था, अब धन की चकाचौंध में गुम होकर रह गया है। कहते हैं न कि ज्यादा मिठास मे कीड़े पडते हैं, अति लोकप्रिय हो चुकी क्रिकेट का भी यही हाल है।