नई दिल्ली | ब्रिटेन में पाए गए नए कोरोना के दूसरे प्रकार की जांच के लिए केंद्र सरकार पहले ही अपनी रणनीति तैयार कर चुकी है। अब जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए दस प्रयोगशालाओं को भी चिह्नित किया गया है। प्रत्येक प्रयोगशाला से नजदीकी राज्यों को संबद्ध किया गया है। राज्यों को इसी अनुसार नमूने भेजने होंगे। स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर ने सोमवार को जीनोम सर्विलांस के लिए सार्स कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम का ऐलान किया है।
दिल्ली स्थित सीएसआईआर की प्रयोगशाला आईजीआईबी में राजस्थान, पंजाब, हरियाणा पश्चिम उत्तर प्रदेश तथा केरल से आए नमूनों की जीनोम सिक्वेंसिंग होगी। जैव प्रौद्यौगिकी विभाग की प्रयोगशालाओं नेशनल इंस्टीट्यूट आफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स, कल्याणी तथा इंस्टीट्यूट आफ लाइफ साइंसेज भुवनेश्वर में पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, असम, त्रिपुरा, मेघालय, मणिपुर, अरुणाचल, सिक्किम, मिजोरम, नगालैंड ओडिशा, छत्तीसगढ़ के नमूनों की जीनोम सिक्वेंसिंग होगी।
एनआईवी पुणे में महाराष्ट्र, गोआ, गुजरात तथा पश्चिमी मध्य प्रदेश के नमूने भेजे जाएंगे। हैदराबाद स्थित दो प्रयोगशालाओं सीसीएमबी तथा सीडीएफडी में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना तथा उत्तरी कर्नाटक, डीबीटी की बेंगलुरु स्थित प्रयोगशाला तथा निम्हंस में तमिलनाडु, पांडिचेरी तथा कर्नाटक तथा एनसीडीसी दिल्ली उत्तराखंड, दिल्ली, पूर्वी मध्य प्रदेश, हिमाचल, लद्दाख, कश्मीर, पंजाब के नमूनों की सिक्वेंसिंग होगी।
इन सभी प्रयोगशालाओं की मासिक क्षमता 25600 जीनोम सिक्वेंसिंग कर पाने की है। सरकार ब्रिटेन से आए लोगों के पॉजीटिव नमूनों तथा अन्य देशों से आए लोगों के पॉजीटिव नमूनों की भी जीनोम सिक्वेंसिंग करेगी। इसके अलावा राज्यों के कुल पॉजीटिव केसों के पाच फीसदी की भी सिक्वेंसिंग की जाएगी।