लखनऊ। त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण प्रक्रिया आज यानी शुक्रवार से शुरू हो गई। इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई । इसके तहत जिला पंचायत अध्यक्षों का आरक्षण शासन स्तर से तय किया जाएगा जबकि ब्लॉक प्रमुखों की संख्या शासन स्तर से और आरक्षण जिले स्तर पर तय किया जाएगा। इसके अलावा ग्राम प्रधानों का आरक्षण जिले स्तर पर होगा और संख्या भी ब्लाकों को मानक मानकर जिले में ही तय की जाएगी। आरक्षण की व्यवस्था अब तक अनारक्षित रही सीटों को ध्यान में रखते हुए की जाएगी। मसलन, जो सीट पिछले पांच चुनावों में अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित नहीं हुई, उसे अब एससी के लिए आरक्षित किया जाएगा। यही व्यवस्था ओबीसी की सीटों को लेकर अपनाई जाएगी।
पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने गुरुवार को प्रेस कांफ्रेंस कर इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव 2021 के लिए जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत एवं ग्राम पंचायत के स्थानों, पदों के आरक्षण एवं आवंटन को लेकर शासनादेश जारी कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि पिछले पांच चुनावों के दौरान कौन सा पद किसके लिए आरक्षित था, उसे आधार मानकर इस बार आरक्षण तय किया जाएगा। इसके तहत सबसे पहले अनुसूचित जनजाति (एसटी) की महिला और उसके बाद एसटी के आरक्षण की व्यवस्था होगी इसके बाद एससी महिला, फिर एससी और उसके बाद ओबीसी महिला, फिर ओबीसी के आरक्षण की पद्धति अपनाई जाएगी।
प्रदेश में होंगे 826 ब्लाक प्रमुख
अपर मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश के 75 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष के पद हैं। प्रदेश के कुल 826 ब्लॉक के लिए इतने ही ब्लाक प्रमुख होंगे। उन्होंने कहा कि 700 पंचायतें नगरीय निकाय में गई हैं। इसके अलावा प्रदेश में 58,184 ग्राम पंचायतें हैं जबकि जिला पंचायतों में 3,051 वार्ड बने हैं। क्षेत्र पंचायत के 826 ब्लॉकों में 75,855 वार्ड बने हैं।
आपत्तियों के लिए छह दिन
शुक्रवार को जिला पंचायत अध्यक्षों और ब्लॉक प्रमुखों के पदों का आरक्षण ज़ारी किया जाएगा। अनारक्षित ब्लॉक प्रमुखों के पांच पद आरक्षित होंगे। आरक्षित ब्लॉक प्रमुख की सीटें चार जिलों में होंगी। इसकी घोषणा शुक्रवार को होगी। जिले स्तर पर ग्राम पंचायतों का आरक्षण ज़ारी किया जाएगा। इस प्रकार से 2015 में जो आरक्षण की स्थिति थी कमोबेश वैसी ही आरक्षण व्यवस्था इस बार रहेगी। अपर मुख्य सचिव ने कहा कि पूरे प्रदेश में दो जिला पंचायतें ऐसी थीं, जो आज तक अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित नहीं हुईं और सात ऐसी जिला पंचायतें थीं, जो कभी भी महिलाओं के लिए आरक्षित नहीं हुई। आरक्षण पद्धति पर दो मार्च से आठ मार्च तक आपत्तियां मांगी जाएंगी। जिन्हें भी आपत्ति होगी उन्हें इसे लिखित रूप में दर्ज कराना होगा।
खास-खास
-पुरानी व्यवस्था के तहत चुनावों में शिक्षा आड़े नहीं आएगी।
-जो पद पहले कभी आरक्षित नही हुए उन्हें वरीयता दी जाएगी।
-प्रदेश के सभी 75 जिलों में एक साथ पंचायतों के वार्डों के आरक्षण की नीति लागू होगी।
-826 ब्लॉक , 58194 ग्राम पंचायतों में वार्डों की संख्या का गठन हो चुका है।
-जिला पंचायत अध्यक्ष एवं विकास खण्ड के प्रमुख पदों के आरक्षण एवं आवंटन शासन स्तर से होगा।
-ग्राम पंचायत के प्रधान पदों का विकासखण्डवार आरक्षणपंचायती राज निदेशक स्तर से तय किया जाएगा।
-जिला पंचायत के निर्वाचन क्षेत्रों का आरक्षण व आवंटन जिले स्तर पर।
-विकास खण्ड के प्रमुख पदों का अवंटन भी जिले स्तर से होगा।
-विकास खण्ड के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों का आरक्षण एवं आवंटन भी जले स्तर से ही होगा।
-खण्डवार ग्राम पंचायत के प्रधान पदों का आवंटन भी जिले स्तर से होगा।
-ग्राम पंचायत के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों का आरक्षण एवं आवंटन भी जिले स्तर से ही किया जाएगा।