कोरोना बीमारी से ठीक होने वाले कई लोगों को बाद में भी कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में दिल्ली के एक अस्पताल में कुछ कोरोना मरीजों में घातक फंगल संक्रमण की शिकायत देखी गई है। डॉक्टरों का दावा है कि ये इंफेक्शन कोरोना की वजह से ही मरीजों को हो रहा है। पिछले साल दिसंबर महीने में भी दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में 15 दिनों के भीतर ऐसे 10 मामले सामने आए थे। उस समय फंगल संक्रमण के कारण कई मरीजों की आंखों की रोशनी तक चली गई थी।
इस फंगल संक्रमण को ब्लैक फंगस या म्यूकोर्माइकोसिस के नाम से जाना जाता है। कुछ मामलों में ये संक्रमण दिमाग पर भी असर करता है।डॉक्टरों का कहना है कि अगर जल्दी ही इस संक्रमण का पता लगाकर इसका इलाज नहीं किया जाता है तो ये मरीज की जान भी ले सकता है। इस संक्रमण के होने पर कुछ मरीजों की आंखों की रोशनी कम हो सकती है या नाक और जबड़े की हड्डी खत्म भी हो सकती है। डॉक्टरों का कहना है कि अब तक ये समस्या कोरोना के उन मरीजों में देखी गई है, जो पहले से किसी अन्य गंभीर बीमारी से भी पीड़ित हैं या जिनकी इम्युनिटी कम है।
पिछले साल इस संक्रमण ने मरीजों को इस तरह किया था प्रभावित
SGRH के एक वरिष्ठ ईएनटी सर्जन डॉ. मनीष मुंजाल के अनुसार, पिछले दो दिनों में अस्पताल में कुछ कोरोना मरीजों में फंगल संक्रमण का पता चला है। पिछले साल, दिसंबर महीने में इस जानलेवा संक्रमण के कारण आंखों की रोशनी में कमी, नाक और जबड़े की हड्डी को नुकसान पहुंचने जैसे कई शिकायतें देखी गई थी, जिसके कारण कई मरीजों की मौत भी हो गई थी।” उन्होंने कहा कि अब तक की जांच में पाया गया है कि ये संक्रमण किसी मरीज को तब प्रभावित करता है, जब उसकी इम्युनिटी कमजोर हो।
स्टेरॉयड का इस्तेमाल और कमजोर इम्युनिटी हो सकते हैं कारण
वहीं, अस्पताल में ईएनटी विभाग के अध्यक्ष डॉ. अजय स्वरूप ने कहा कि कोरोना मरीजों के लिए स्टेरॉयड दवा का इस्तेमाल, पहले से ही बीमार मरीजों की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकता है, जिस वजह से भी उन्हें इस ब्लैक फंगस या म्यूकोर्माइकोसिस की शिकायत हो सकती है। उन्होंने आगे कहा कि कोरोना के इलाज में स्टेरॉयड दवा का इस्तेमाल और साथ में अगर कोरोना का मरीज डायबिटीज से भी पीड़ित हो, तो कोरोना से ठीक होने के बाद उसमें ब्लैक फंगस की शिकायत देखने को मिल सकती है।
सही समय पर मिल जाए इलाज, तो बचा जा सकता है समस्या से
डॉक्टरों ने बताया कि ये संक्रमण चिंता का विषय जरूर है और दुर्लभ भी है लेकिन ये समस्या नई नहीं है। म्यूकोर्माइकोसिस के लक्षण बताते हुए कहा कि इस संक्रमण के होने पर चेहरा सुन्न हो जाता है और एक तरफ नाक बंद हो सकती है या आंखों में सूजन भी आ सकती है, साथ ही दर्द भी होता है, कई मामलों में आंखों की रोशनी भी जा सकती है, लेकिन अगर सही समय पर इलाज हो जाए तो आंखों की रोशनी को जाने से बचाया जा सकता है, साथ ही नाक और जबड़े को भी बचाया जा सकता है। डॉक्टरों का कहना है कि मरीजों में इम्युनिटी का लेवल कम होने की वजह से ये संक्रमण होता है।