नई दिल्ली। पेट्रोल, डीज़ल और रसोई गैस के दामों में सुरसा की तरह लगातार उछाल ने आम आदमी को त्रस्त करके रख दिया है। हालात इस कदर बदतर हो चुके हैं कि रिजर्व बैंक को सरकार से ईधन पर टैक्स कम करने को कहने पड़ गया। आप देखिए कि इसी अक्टूबर महीने में ही पेट्रोल डीज़ल के दाम 8 बार बढ़ चुके है। राजधानी दिल्ली में पेट्रोल 103.84 रुपये और डीजल 92.47 रुपये प्रति लीटर में मिल रहा है। वही अन्य मेट्रो शहरो में पेट्रोल की कीमत 104 रूपये से लेकर 110 रूपये तक चली गई है।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि ईंधन पर अप्रत्यक्ष करों को चरणबद्व तरीके से नियंत्रित करने के प्रयास से मुद्रास्फीति की संभावित आशंका को कम करने में मदद मिलेगी।

पेट्रोल और डीज़ल के दामों के बढ़ने की वजह कच्चे तेल के दामों में आई तेजी बताई जा रही है। आपको बता दे पेट्रोल और डीज़ल पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों ही टैक्स वसूलती है। केंद्र एक्साइज ड्यूटी के तौर पर तो वही राज्य सरकार वैट के रूप में टैक्स लेती है।

पेट्रोल और डीज़ल को गुड्स एंड सर्विस टैक्स जीएसटी में जोड़ने की मांग तेज हो रहीं है। दरअसल GST के दायरे में आने से पेट्रोल और डीज़ल पर लगने वाले टैक्स पर कमी आ आएगी जिससे तेल के दाम कम होने की उम्मीद है। लेकिन हाल ही में हुए जीएसटी कॉउंसिल की बैठक में कई राज्यों ने पेट्रोल डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का विरोध किया क्योंकि सरकार ले लिए यह आमदनी का बड़ा स्रोत है। हाल ही में प्राकृतिक गैस के कीमतों में भी भारी इज़ाफ़ा किया गया है।

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